77 साल बाद जीका वायरस की वैक्सीन मिली, भारत में परीक्षण एक उपलब्धि

saurabh pandey
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जीका वायरस, जो 1947 से एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है, अब जल्द ही इतिहास बन सकता है। भारत ने ऑस्ट्रेलिया की मदद से इस संक्रमण के लिए एक वैक्सीन विकसित की है, जो जल्द ही मानव परीक्षण के लिए तैयार है। इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड (IIL) ने ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर इस वैक्सीन को विकसित किया है। इसके प्री-क्लिनिकल परीक्षण पूरे हो चुके हैं, और अब यह तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में है।

आईसीएमआर और परीक्षण की प्रक्रिया

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने वैक्सीन के पहले चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड (IIL) के साथ साझेदारी की है। भारत में इस वैक्सीन का परीक्षण चार बड़े चिकित्सा संस्थानों—मुंबई में एसीटीआरईसी और केईएम, चेन्नई में एसआरएम, और चंडीगढ़ में पीजीआई—में किया जाएगा। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल के अनुसार, इस नेटवर्क के माध्यम से अब भारत में ही छोटे अणुओं, जैविक पदार्थों, और टीकों पर मानव सुरक्षा अध्ययन संभव हो सकेगा।

जीका वायरस और इसका प्रभाव

जीका वायरस संक्रमण आमतौर पर हल्का होता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं में यह गंभीर जन्म दोषों जैसे माइक्रोसेफली, गर्भपात और अन्य विकृतियों का कारण बन सकता है। कुछ मामलों में, यह न्यूरोलॉजिकल विकार जैसे गुइलेन-बैरे सिंड्रोम भी उत्पन्न कर सकता है। इस वैक्सीन के आने से भविष्य में इन जटिलताओं को रोकने में बड़ी मदद मिलेगी।

उम्मीदें और भविष्य

इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ. के. आनंद कुमार ने कहा कि मानव परीक्षणों के सफल परिणामों के बाद यह वैक्सीन जल्द ही वैश्विक स्तर पर उपलब्ध हो सकती है। इस खोज के साथ, जीका वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारत ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

जीका वायरस, जो 77 सालों से वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती बना हुआ था, अब वैक्सीन के रूप में अपने अंत की ओर बढ़ रहा है। भारत और ऑस्ट्रेलिया की साझेदारी से विकसित यह वैक्सीन मानव परीक्षण के अंतिम चरण में है, जिससे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को इस वायरस से मुक्ति मिलने की उम्मीद है। इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड और आईसीएमआर के प्रयासों से भारत में अब क्लिनिकल परीक्षण तेजी से हो रहे हैं, जो एक बड़ी उपलब्धि है। यदि परीक्षण सफल होते हैं, तो यह वैक्सीन भविष्य में गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं पर वायरस के गंभीर प्रभाव को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

Source- amar ujala

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