जलवायु परिवर्तन दुनिया भर में विभिन्न बीमारियों के प्रसार को प्रभावित कर रहा है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि अनियमित बारिश और तापमान में वृद्धि डेंगू के मामलों में तेज़ी ला रही है। इसके अलावा, यह केवल डेंगू तक सीमित नहीं है, बल्कि मलेरिया, इन्फ्लूएंजा और जीका वायरस जैसी बीमारियों को भी बढ़ावा दे रहा है। इस अध्ययन के अनुसार, तापमान और वर्षा दुनिया भर में डेंगू के बढ़ते मामलों के प्रमुख कारण हैं, और शोधकर्ताओं ने इसके प्रभाव को कम करने के लिए नई रणनीतियों का सुझाव दिया है।
बढ़ती चुनौती: डेंगू के मामलों में रिकॉर्ड वृद्धि
डेंगू बुखार, जो मच्छरों द्वारा फैलने वाली एक गंभीर बीमारी है, अब एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार, केवल उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में 2023 में डेंगू के 41 लाख मामले दर्ज किए गए थे, जो 2024 में बढ़कर 1.06 करोड़ से अधिक हो गए।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह संख्या अब तक की सबसे अधिक दर्ज की गई संख्या है। तापमान और बारिश जैसे जलवायु परिवर्तन कारक डेंगू के प्रसार को तेज करने में अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन इन दोनों के बीच का जटिल संबंध अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाया है।
बारिश और तापमान का डेंगू पर प्रभाव
पिछले अध्ययनों में परस्पर विरोधी निष्कर्ष सामने आए हैं। कुछ शोधों के अनुसार, बारिश डेंगू फैलाने में मदद करती है क्योंकि यह मच्छरों के प्रजनन के लिए आदर्श स्थितियां प्रदान करती है। दूसरी ओर, कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि अत्यधिक बारिश से मच्छरों के अंडे बह जाते हैं, जिससे उनका प्रसार कम हो जाता है।
इंस्टीट्यूट फॉर बेसिक साइंस (आईबीएस) के वैज्ञानिकों ने इन विसंगतियों को समझने के लिए एक नई पद्धति अपनाई। उन्होंने 2023 में विकसित एक नई तकनीक “जीओबी” का उपयोग किया, जिससे जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले प्रभावों को बेहतर तरीके से मापा जा सकता है। यह तकनीक मौसम और डेंगू के मामलों के बीच के संबंधों का गहन विश्लेषण करने में सक्षम है।
डेंगू से निपटने के लिए सुझाव
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए डेंगू नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
जल निकासी में सुधार: जलभराव को रोकने के लिए प्रभावी जल निकासी प्रणाली को लागू किया जाना चाहिए।
मच्छर नियंत्रण अभियान: प्रभावित क्षेत्रों में नियमित रूप से कीटनाशकों का छिड़काव किया जाना चाहिए।
सतर्कता और जागरूकता: लोगों को डेंगू के लक्षणों और बचाव के तरीकों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।
जलवायु अनुकूलन रणनीतियाँ: वैज्ञानिक और सरकारी एजेंसियों को जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न स्वास्थ्य संकटों से निपटने के लिए बेहतर नीतियाँ बनानी चाहिए।
स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती: अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में डेंगू रोगियों के लिए विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए।
डेंगू और अन्य जलवायु-प्रभावित बीमारियों से बचाव के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन अब केवल पर्यावरणीय मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह स्वास्थ्य संकट के रूप में उभर रहा है। सरकार, वैज्ञानिक समुदाय और आम जनता को मिलकर इस चुनौती से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। समय पर सही कार्रवाई से ही डेंगू के बढ़ते प्रकोप को रोका जा सकता है और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत किया जा सकता है।