यमुना में ऑक्सीजन का स्तर कम होने से लाखों मछलियां मर गईं

saurabh pandey
7 Min Read

यमुना नदी में प्रदूषण की समस्या दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। हाल ही में वजीराबाद से लेकर बुराड़ी पुस्ता तक यमुना के किनारे लाखों मछलियों की मौत ने इस समस्या की गंभीरता को और बढ़ा दिया है। मछलियों के साथ-साथ अन्य जलीय जीव भी इस प्रदूषण का शिकार हो रहे हैं। यमुना किनारे रहने वाले किसानों और मछुआरों का कहना है कि केमिकल युक्त पानी छोड़े जाने से यह हालात पैदा हुए हैं, जबकि जीव विज्ञानियों का मानना ​​है कि गर्मी के दिनों में पानी में ऑक्सीजन का स्तर बेहद कम हो जाने से ऐसा हो रहा है।

यमुना में ऑक्सीजन का स्तर कम होने से पिछले कुछ दिनों में लाखों मछलियां मर चुकी हैं। अन्य जलीय जीवों की जान भी खतरे में है। यमुना किनारे रहने वाले किसानों और मछुआरों का कहना है कि यमुना में केमिकल युक्त पानी छोड़े जाने से मछलियां मर रही हैं, जबकि जीव विज्ञानियों का मानना ​​है कि गर्मी के दिनों में पानी में ऑक्सीजन का स्तर बेहद कम होने से ऐसा अक्सर होता है।

वजीराबाद से बुराड़ी पुस्ता तक नदी के किनारों पर ढेर लगे, घाटों पर सड़ांध से सांस लेना मुश्किल

यमुना किनारे पड़ी मरी हुई मछलियों की दुर्गंध से करीब एक किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। यमुना खादर में सब्जियां और मछली उगाने वाले किसानों को नदी के किनारे रहना मुश्किल हो रहा है। यमुना के पानी के कारण मछुआरों को चर्म रोग की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। 1987 से यमुना घाट पर रह रहे हैं और खेती कर मछली पकड़कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। पिछले तीन-चार वर्षों से हर बार औद्योगिक क्षेत्र से 4-6 महीने बाद पानी छोड़ा जाता है और इस तरह मछलियां मर जाती हैं। वजीराबाद पुस्ते से बुराड़ी पल्ला नंबर 4 के जीरो प्वाइंट पर मछलियां मर गईं।

हर घाट पर मछलियों की भरमार

पिछले तीन-चार दिनों से याजीराबाद पुस्ते से लेकर बुराड़ी पल्ला नंबर 4 के जीरो प्वाइंट तक लाखों की संख्या में मरी हुई मछलियां उतर रही हैं। स्थानीय किसानों और मछुआरों ने बताया कि सोनीपत नहर से आने वाला पानी जब यमुना नदी में छोड़ा जाता है तो इसी तरह मछलियां मर जाती हैं। साल में एक या दो बार नहर नंबर आठ से भी इसी तरह जहरीला पानी छोड़ा जाता है। यह औद्योगिक क्षेत्रों से छोड़ा जाने वाला पानी होता है जिसमें खतरनाक रसायन मिले होते हैं, जिससे यमुना का पानी जहरीला हो गया है।

केमिकल युक्त पानी छोड़ना भी एक कारण

यमुना में मछलियों और अन्य जलीय जीवों की मौत का कारण यमुना के पानी में मौजूद ऑक्सीजन की बेहद कम मात्रा हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे नालों में साल भर जमा जहरीली गैसें पहली बारिश में बहकर यमुना के पानी में मिल जाती हैं। पहले से ही प्रदूषित यमुना के पानी में ऑक्सीजन का स्तर अचानक बहुत कम हो जाता है। फैक्ट्रियों से खतरनाक केमिकल युक्त पानी यमुना में छोड़ना भी एक कारण हो सकता है।

गर्मी के दिनों में पानी में ऑक्सीजन का स्तर बेहद कम हो जाता है, जिससे मछलियों की मौत होती है। केमिकल युक्त पानी छोड़ना भी इसका एक बड़ा कारण हो सकता है।”

फैयाज अहमद खुदसर, वरिष्ठ वैज्ञानिक, जैव विविधता पार्क:

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यमुना में मछलियों और अन्य जलीय जीवों की मौत का कारण यमुना के पानी में मौजूद ऑक्सीजन की बेहद कम मात्रा हो सकती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे नालों में साल भर जमा जहरीली गैसें पहली बारिश में बहकर यमुना के पानी में मिल जाती हैं। पहले से ही प्रदूषित यमुना के पानी में ऑक्सीजन का स्तर अचानक बहुत कम हो जाता है।

यमुना नदी की प्रदूषण की समस्या का समाधान करना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए सरकार और औद्योगिक क्षेत्रों को मिलकर कार्य करना होगा। जल शोधन संयंत्रों का सही संचालन और जल में केमिकल की मात्रा को नियंत्रित करना जरूरी है। इसके साथ ही, जन जागरूकता कार्यक्रम चलाकर लोगों को नदी की स्वच्छता के प्रति संवेदनशील बनाना होगा।

यमुना में प्रदूषण की स्थिति को नियंत्रित करना हम सभी की जिम्मेदारी है ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस नदी के लाभों का उपभोग कर सकें और जल जीवन का संतुलन बना रहे।

स्थानीय निवासियों के विचार

दिलीप साहनी, मछुआरे, बुराड़ी पुस्ता: “ड्रेन नंबर आठ से जहरीला एसिड जैसा पानी छोड़ा गया है। पानी में रहने वाले सभी जीव मर रहे हैं, सड़ी हुई मछलियों की दुर्गंध से यहां हर कोई परेशान हो रहा है। पानी में जवाब नहीं दे सकते।”

शिव साहनी, मछुआरा, बुराड़ी पुस्ता: “यमुना नहर नंबर आठ का पानी मैं छोड़ रहा हूं, इसलिए यमुना में मछलियां मर रही हैं। अब पिछले चार लाख प्रतिदिन मछलियां मर रही हैं। जहां तक ​​यह पानी जाएगा, उससे भी आगे मछलियां मरती जाएंगी।”

रविंद्र त्यागी, स्थानीय निवासी, बुराड़ी पुस्ता: “इन दिनों यमुना में बहाव कम हो गया है और कई स्थानों पर पानी जमा हो गया है। भीषण गर्मी के कारण कई स्थानों पर पानी सूख गया है, जिससे मछलियां मर रही हैं। दूसरी बात यह कि इन दिनों आसमान में बादल छाए रहने के कारण पानी में ऑक्सीजन का स्तर कम हो गया है, इसलिए इस मौसम में मछलियां मर रही हैं। यह समस्या सितंबर तक बनी रहने की संभावना है।”

source- अमरउजाला

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *