चिंताजनक: नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर से हो रहा है लिवर कैंसर

saurabh pandey
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भारत में स्वास्थ्य से जुड़े कई जोखिम कारकों के बीच नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) अब लिवर कैंसर का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। पहले हेपेटाइटिस बी के कारण लिवर कैंसर के मामले अधिक होते थे, लेकिन हाल के अध्ययन में यह पता चला है कि खराब जीवनशैली, गलत खान-पान और मोटापे के कारण एनएएफएलडी के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है।

अध्ययन

इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (आईएलबीएस) द्वारा किए गए अध्ययन में नौ अस्पतालों के 5798 मरीजों का विश्लेषण किया गया। अध्ययन में पाया गया कि 35.5% लिवर कैंसर के मामलों का कारण एनएएफएलडी है, जबकि 39.5% मरीज मधुमेह से पीड़ित थे। इन आंकड़ों के साथ, लिवर कैंसर के मामलों में वृद्धि की स्पष्ट तस्वीर सामने आती है।

गंभीर स्थिति

डॉ. अशोक चौधरी, आईएलबीएस के एडिशनल प्रोफेसर, के अनुसार, “भारत में लिवर कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी के पीछे जागरूकता की कमी एक बड़ा कारण है। अधिकांश मरीज एडवांस स्टेज में इलाज के लिए आते हैं, जिससे बचने की दर केवल 20-30% है।” विदेशों में, इस प्रकार के कैंसर के उपचार में सफलता दर 50-60% तक होती है।

महत्वपूर्ण आंकड़े

  • 27.9% लिवर कैंसर रोगियों में सिरोसिस नहीं था।
  • सिरोसिस लिवर कैंसर से पीड़ित 15.5% रोगियों में शराब का अत्यधिक सेवन पाया गया।
  • गैर-सिरोसिस लिवर कैंसर वाले 4.7% रोगी अत्यधिक शराब पीने वाले थे।
  • गैर-सिरोसिस लिवर कैंसर वाले 48.2% रोगियों में एनएएफएलडी था।
  • सिरोसिस कैंसर वाले 30.6% रोगियों में एनएएफएलडी भी था।
  • गैर-सिरोसिस लिवर कैंसर वाले रोगियों में मधुमेह की अधिकता पाई गई, जिसमें 50.5% रोगी मधुमेह से पीड़ित थे।

जागरूकता और निवारण

डॉक्टरों का कहना है कि लिवर कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि बीमारी की पहचान प्रारंभिक चरण में ही हो सके। मोटापे से पीड़ित लोगों को नियमित रूप से अल्ट्रासाउंड जांच करानी चाहिए, खासकर छह माह के अंतराल पर।

डॉ. एसके सरीन, आईएलबीएस के निदेशक, ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, लिवर कैंसर कैंसर से होने वाली मौतों का तीसरा सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है।

लिवर कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि चिंता का विषय है, और इसके पीछे के कारणों को समझने और उचित निवारक उपायों को लागू करने की आवश्यकता है। सही खान-पान, नियमित जांच और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता से इस बढ़ती समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) के बढ़ते मामलों ने लिवर कैंसर को एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बना दिया है। अध्ययन के आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि खराब जीवनशैली, गलत खान-पान, और मधुमेह जैसी स्थितियाँ लिवर कैंसर के जोखिम को बढ़ा रही हैं। भारत में लिवर कैंसर के मामलों में वृद्धि के पीछे जागरूकता की कमी एक महत्वपूर्ण कारक है, जिसके कारण मरीज अक्सर इलाज के लिए एडवांस स्टेज में पहुंचते हैं।

इस समस्या का समाधान करने के लिए जागरूकता बढ़ाना, नियमित स्वास्थ्य जांच कराना, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना आवश्यक है। सरकार और स्वास्थ्य संस्थानों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि समय पर पहचान और इलाज से मरीजों की बचने की दर में सुधार किया जा सके। लिवर कैंसर से निपटने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों में सुधार और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का विकास भी आवश्यक है।

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