चिंताजनक स्थिति: जल स्रोतों से ऑक्सीजन तेजी से समाप्त हो रही है ,धरती की स्थिरता को गंभीर खतरा

saurabh pandey
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एक ताजा अध्ययन के अनुसार, दुनिया भर के जल स्रोतों से ऑक्सीजन तेजी से समाप्त हो रही है, जिससे धरती की स्थिरता को गंभीर खतरा हो सकता है। रेनसेलर पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट से जुड़े वैज्ञानिकों ने पाया है कि 1980 से अब तक झीलों में ऑक्सीजन का स्तर 5.5% और जलाशयों में 18.6% घट चुका है। 1960 के बाद से समुद्र के पानी में घुली ऑक्सीजन में 2% की गिरावट देखी गई है, जबकि सेंट्रल कैलिफोर्निया के वाटरशेड में हाल के दशकों में 40% ऑक्सीजन की कमी आई है।

प्राकृतिक तंत्र पर प्रभाव

अध्ययन के अनुसार, पानी में घुली ऑक्सीजन जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसकी कमी से जलवायु तंत्र और पृथ्वी की स्थिरता को खतरा हो सकता है। इस कमी के कारण जीवों की संवेदी क्षमताओं में कमी, धीमी वृद्धि, आकार और प्रजनन में कमी हो रही है। भविष्य में, ऑक्सीजन की इस कमी के चलते बड़े पैमाने पर जीवों की मौत और पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

कारण और समाधान

जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग में बदलाव के कारण जलीय ऑक्सीजन की कमी हो रही है। बढ़ते तापमान से पानी में घुली ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, जबकि वेंटिलेशन की कमी और गहराई में ऑक्सीजन की खपत में वृद्धि भी इस कमी को बढ़ाती है। ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण जलीय पारिस्थितिकी तंत्र की जैव रासायनिक प्रक्रियाओं को बाधित कर रहे हैं, जिससे स्वच्छ पानी और समुद्री जीवों को नुकसान पहुंच रहा है।

यदि इस स्थिति पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो पूरी खाद्य श्रृंखला में बदलाव आ सकता है, जो मानव जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए गंभीर परिणाम ला सकता है।

जल स्रोतों से ऑक्सीजन की तेजी से कमी एक गंभीर वैश्विक समस्या बन गई है, जो पृथ्वी की पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता और जीवों के अस्तित्व को खतरे में डाल रही है। अध्ययन से पता चलता है कि ऑक्सीजन की कमी से खाद्य श्रृंखला में बड़ा बदलाव आ सकता है, जिससे जीवों के विकास, प्रजनन और जीवन के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग में बदलाव इस कमी के प्रमुख कारण हैं, और बढ़ते तापमान, वेंटिलेशन की कमी, और प्रदूषण जैसे कारक इस स्थिति को और बिगाड़ रहे हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, जिसमें वैश्विक स्तर पर जलवायु नीतियों को लागू करना, प्रदूषण नियंत्रण उपायों को सख्त करना और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए समन्वित प्रयास शामिल हैं। अगर इस दिशा में आवश्यक कदम नहीं उठाए गए, तो जलवायु परिवर्तन की इस दिशा में स्थितियाँ और भी विकट हो सकती हैं, जो सभी जीवों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए गंभीर परिणाम ला सकती हैं।

Source- अमर उजाला

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