दक्षिणी राज्यों में मोटापा और कैंसर की चिंताजनक स्थिति: उत्तर भारत में मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा

saurabh pandey
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भारत में स्वास्थ्य परिदृश्य की ताजातरीन रिपोर्ट ने देश के विभिन्न हिस्सों में गैर-संचारी रोगों के भौगोलिक विविधताओं को उजागर किया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के राष्ट्रीय रोग सूचना विज्ञान और अनुसंधान केंद्र (NCDIR) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिणी राज्यों के जिलों में मोटापा, ओरल, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के मामले अधिक देखे जा रहे हैं, जबकि उत्तर भारत में मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसे जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ अधिक प्रचलित हैं।

दक्षिणी राज्यों में मोटापा और कैंसर की बढ़ती समस्या

समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिणी राज्यों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। साथ ही, मौखिक, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के मामले भी अधिक देखे जा रहे हैं। तमिलनाडु जैसे राज्यों में रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि की समस्या चिंता का विषय है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि पूर्वोत्तर राज्यों में तंबाकू का उपयोग 40 प्रतिशत से अधिक है और शराब की खपत भी अधिक देखी गई है।

उत्तर भारत में मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा

उत्तर भारत के सतलुज-यमुना के मैदानी इलाकों में मधुमेह, स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियाँ सबसे अधिक प्रचलित हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी राजस्थान और पूर्वोत्तर राज्यों के जिलों में लगभग 30.1 प्रतिशत आबादी उच्च रक्तचाप से पीड़ित है। यह भौगोलिक अंतर जीवनशैली और बीमारियों के प्रसार को स्पष्ट करता है।

रिपोर्ट की प्रमुख बातें

एनसीडीआईआर के प्रमुख डॉ. प्रशांत माथुर ने बताया कि यह रिपोर्ट देश के 707 जिलों की स्थिति का विश्लेषण करती है। रिपोर्ट में गैर-संचारी रोगों के बोझ और कैंसर स्क्रीनिंग की सीमा के आधार पर जिलों की रैंकिंग की गई है। अध्ययन में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें 6,36,699 परिवारों के साक्षात्कार और चिकित्सा जांच शामिल हैं।

क्षेत्रवार रोकथाम रणनीति की आवश्यकता

रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार, भारत में गैर-संचारी रोगों के बोझ को कम करने के लिए क्षेत्रवार रोकथाम रणनीति पर काम करना जरूरी है। एक ही नीति को पूरे देश में लागू करने से अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सकते। इस भौगोलिक भिन्नता को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक क्षेत्र के लिए विशेष नीतियों और योजनाओं की आवश्यकता है।

भारत में गैर-संचारी रोगों के भौगोलिक भिन्नताओं को समझना और उन पर क्षेत्रवार कार्य करना भविष्य की स्वास्थ्य नीतियों के लिए महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य प्रणाली को इन विविधताओं के अनुसार सुधारने और सटीक उपाय अपनाने की आवश्यकता है ताकि हर क्षेत्र की विशेष समस्याओं का समाधान किया जा सके।

Source –अमर उजाला

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