दिल्ली की वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच रही है, जबकि अभी न तो सर्दी आई है और न ही पराली जलाने का धुआं यहां तक पहुंचा है। राजधानी के सभी 13 हॉट स्पॉट की हवा पहले ही ‘खराब’ या ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच चुकी है। फिलहाल आनंद विहार का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 से ऊपर और अन्य हॉट स्पॉट्स का AQI 200 से ऊपर है, जो वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को दर्शाता है।
दिल्ली की हवा
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में हर रोज वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। राष्ट्रीय राजधानी के सभी हॉट स्पॉट जैसे आनंद विहार, मुंडका, अशोक विहार, नरेला, बवाना, ओखला, द्वारका, और पंजाबी बाग की हवा ‘खराब’ श्रेणी में पाई गई है। खासतौर पर, आनंद विहार का AQI 300 से ऊपर पहुंच चुका है, जो गंभीर रूप से प्रदूषित है। बाकी सभी हॉट स्पॉट्स भी 200 से ऊपर हैं, जो खराब वायु गुणवत्ता का संकेत देते हैं।
ठोस कार्ययोजना की आवश्यकता
दिल्ली सरकार ने 25 सितंबर को 21 सूत्रीय शीतकालीन कार्ययोजना जारी की, जिसमें हॉट स्पॉट्स की ड्रोन से निगरानी, ग्रीन वॉर रूम से 24 घंटे की मॉनिटरिंग, और प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों पर नज़र रखने की बात कही गई थी। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि केवल कार्ययोजना बनाकर प्रदूषण की समस्या का समाधान संभव नहीं है। डीपीसीसी (दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति) और सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) के सदस्य डॉ. अनिल गुप्ता का कहना है कि “समस्या के कारणों की पहचान के बाद ठोस कार्रवाई जरूरी है, सिर्फ निगरानी पर्याप्त नहीं है।” सुप्रीम कोर्ट भी कई बार इस मुद्दे पर जोर दे चुका है, लेकिन हालात में कोई खास सुधार नहीं हुआ है।
दिल्ली के हॉट स्पॉट्स और प्रदूषण के मुख्य स्रोत
- आनंद विहार: स्टेशन के सामने क्षतिग्रस्त सड़कें, भीड़, और डीजल बसों से निकलने वाला धुआं।
- मुंडका: दिल्ली-रोहतक हाईवे के पास उड़ती धूल और कच्ची सड़कों के गड्ढे।
- अशोक विहार: कूड़ा जलाना और कच्ची सड़कों पर गड्ढों से उठने वाली धूल।
- नरेला: औद्योगिक क्षेत्र और भारी ट्रकों की आवाजाही।
- बवाना: औद्योगिक क्षेत्र और निर्माण परियोजनाओं से उत्पन्न धूल।
- ओखला: यातायात जाम और औद्योगिक गतिविधियाँ।
- द्वारका: तुला राम चौक पर जाम और सड़कों की स्थिति खराब।
- पंजाबी बाग: फ्लाईओवर के नीचे और क्लब रोड पर खड़े वाहन।
- जहांगीरपुरी: खाना पकाने के लिए लकड़ी और कोयले का इस्तेमाल।
- आरके पुरम: सरोजिनी नगर में निर्माण कार्य से उठने वाली धूल।
प्रदूषण के हॉट स्पॉट्स की पहचान
दिल्ली में हॉट स्पॉट्स की पहचान हवा में पीएम 10 और पीएम 2.5 जैसे महीन धूल कणों की मौजूदगी के आधार पर की जाती है। अगर पूरे साल इन धूल कणों की मात्रा क्रमशः 300 और 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक होती है, तो वह स्थान ‘प्रदूषण का हॉट स्पॉट’ माना जाता है।
इस समय दिल्ली में वायु गुणवत्ता पहले से ही खराब हो चुकी है, और सर्दियों के साथ यह समस्या और भी बढ़ सकती है। जब तक पराली जलने का धुआं दिल्ली तक पहुंचेगा, तब तक हालात और भी चिंताजनक हो जाएंगे। सरकार की योजनाओं का केवल कागजों तक सीमित रहना, और ठोस कार्रवाई का अभाव प्रदूषण को काबू में करने में बड़ी बाधा बन रहा है। दिल्ली के निवासियों के लिए यह वक्त सजग रहने का है, क्योंकि प्रदूषण का यह स्तर सीधे तौर पर उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रहा है।
दिल्ली में प्रदूषण की समस्या हर साल गंभीर होती जा रही है, और अब यह केवल पराली के धुएं या सर्दियों की ठंड तक सीमित नहीं रह गई है। शहर के सभी प्रमुख हॉट स्पॉट्स की हवा पहले से ही ‘खराब’ या ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच चुकी है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा बनाई गई कार्ययोजनाओं का वास्तविक क्रियान्वयन धरातल पर नजर नहीं आ रहा है। जब तक सरकारें ठोस कार्रवाई नहीं करतीं और योजनाओं को सही ढंग से लागू नहीं करतीं, तब तक दिल्ली और इसके निवासियों को वायु प्रदूषण से राहत मिलना मुश्किल है।
सभी हॉट स्पॉट्स पर ध्यान केंद्रित करते हुए, वहां के प्रदूषण के स्रोतों को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है। नागरिकों को भी जागरूक होकर इस समस्या के समाधान में योगदान देना चाहिए। केवल योजनाओं से नहीं, बल्कि ठोस प्रयासों से ही इस गंभीर स्थिति को सुधारा जा सकता है।