पिछले एक सदी में मानवजनित गतिविधियों के कारण बढ़ती गर्मी ने पृथ्वी के 75 प्रतिशत से अधिक हिस्से में बारिश के पैटर्न को गंभीर रूप से बदल दिया है। एक हालिया शोध अध्ययन ने इस परिवर्तन की गहराई और उसके संभावित प्रभावों को उजागर किया है। शोध के निष्कर्ष साइंस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं, और ये स्थिति को और भी चिंताजनक बना रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन की वजह से दुनिया भर में बारिश के पैटर्न अस्थिर और अनियमित हो गए हैं। इस बदलाव का स्पष्ट उदाहरण भारत के वायनाड जिले में देखा गया है, जहां अत्यधिक बारिश के कारण हुए भूस्खलन में 143 से अधिक लोगों की जान चली गई। इस क्षेत्र में बारिश की असामान्य घटनाओं ने स्थानीय जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
वर्षा की परिवर्तनशीलता में वृद्धि
1900 के दशक से 75 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रों में वर्षा की परिवर्तनशीलता में वृद्धि देखी गई है। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के कारण वातावरण में अत्यधिक गर्मी और आर्द्रता बढ़ी है, जिससे तीव्र वर्षा की घटनाएं बढ़ी हैं। अरब सागर के गर्म होने के कारण बादलों का निर्माण भी बढ़ रहा है, जो कम समय में अत्यधिक वर्षा का कारण बन रहा है।
जलवायु वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा के पैटर्न में और भी अधिक विनाशकारी परिवर्तन होने की संभावना है। पिछले 100 वर्षों में वर्षा के पैटर्न में यह परिवर्तन पहले से कहीं अधिक बड़ा और गहरा हो गया है।
जुलाई में असाधारण बारिश के रिकॉर्ड
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, जुलाई के महीने में देशभर में 298.1 मिमी बारिश हुई, जो 1901 के बाद से 51वीं सबसे भारी बारिश और 2001 के बाद से आठवीं सबसे भारी बारिश है। इस महीने असाधारण भारी बारिश की आठ घटनाएं दर्ज की गईं। IMD के अनुसार, ‘असाधारण रूप से भारी वर्षा’ तब मानी जाती है जब एक दिन में हुई वर्षा उस क्षेत्र के महीने की या पूरे मौसम की सबसे अधिक वर्षा के बराबर होती है।
25 जुलाई को पुणे के तमहिनी में 56 सेमी, लवासा में 45 सेमी, और लोनावला में 35 सेमी वर्षा हुई। 8 जुलाई को पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी असाधारण भारी वर्षा देखी गई। पोरबंदर जिले में 19 जुलाई को 49 सेमी वर्षा हुई, जबकि देवभूमि द्वारका में 20 जुलाई को 42 सेमी वर्षा दर्ज की गई। वायनाड में 30 जुलाई को एक दिन में 141.8 मिमी वर्षा हुई, जो सामान्य से 493 प्रतिशत अधिक है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण बारिश के पैटर्न में हो रहे बदलाव भविष्य के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं। इससे न केवल स्थानीय जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि समग्र पर्यावरणीय स्थिरता भी खतरे में है। इन समस्याओं से निपटने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
source and data – अमर उजाला