जलता हुआ दुनिया का सबसे बड़ा वर्षावन: जलवायु संकट की चिंता बढ़ी

saurabh pandey
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जलवायु संकट की दिशा में उठाए गए कदमों के बावजूद, दुनिया के सबसे बड़े वर्षावन—अमेजन के जंगल—जल रहे हैं। यह स्थिति पर्यावरणीय चिंताओं को और भी गहरा कर रही है।

अमेजन की स्थिति

अमेजन वर्षावन, जो एक समय कार्बन सिंक के रूप में कार्य करता था, अब खुद एक कार्बन उत्सर्जक बन गया है। इस परिवर्तन को देखकर शोधकर्ता एरिका बेरेंगुए बहुत परेशान हैं। वे बताती हैं कि 2015 में जब लगभग दस लाख हेक्टेयर जंगल आग से नष्ट हो गया, तो उन्हें गहरी उदासी हुई थी। अब, साओ जोस डॉस कैंपोस में ब्राजील के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च की जलवायु वैज्ञानिक लुसियाना गैटी भी मानती हैं कि अमेजन अब पहले की तरह कार्बन सिंक नहीं रह गया है।

वैज्ञानिकों का मानसिक तनाव

सर्वेक्षण और शोध यह दर्शाते हैं कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने और प्रबंधित करने में लगे वैज्ञानिकों का मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। “जलवायु तनाव अन्य तनावों की तुलना में अधिक स्थायी होता है,” रॉबिन कूपर, क्लाइमेट साइकियाट्री अलायंस के सदस्य कहते हैं। वे बताते हैं कि जलवायु वैज्ञानिक रोजाना नई चुनौतियों का सामना करते हैं, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।

समाधान की दिशा

क्लाइमेट साइकियाट्री अलायंस जैसे संगठन इस स्थिति से निपटने के लिए उपाय कर रहे हैं। वे चिकित्सकों के लिए जलवायु-जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित कर रहे हैं और अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन के सदस्यों के बीच जागरूकता बढ़ा रहे हैं।

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की एरिका बेरेंगुएर कहती हैं कि भावनाओं को व्यक्त करने में खुलापन वैज्ञानिकों को मानसिक तनाव से निपटने में मदद कर सकता है। इसी तरह, एंटिओक यूनिवर्सिटी न्यू इंग्लैंड की सुजैन मोजर का मानना है कि भावनात्मक खुलेपन से वैज्ञानिकों को अपने भावनात्मक अनुभवों को समझने और साझा करने में मदद मिल सकती है।

भविष्य की राह

हालांकि वैज्ञानिकों की स्थिति चिंताजनक है, कुछ जगहों पर सुधार की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। उदाहरण के लिए, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ने स्वास्थ्य और पर्यावरण के क्षेत्रों से जुड़े स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए एक लचीला पाठ्यक्रम विकसित किया है।

सैन डिएगो की मनोचिकित्सा शोधकर्ता ज्योति मिश्रा कहती हैं कि कैलिफोर्निया की जंगल की आग ने प्रभावित समुदायों को समाधान और आपदा की तैयारी के साथ सामने आने के लिए प्रेरित किया है।

जलवायु संकट के साथ लड़ाई में मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। वैज्ञानिकों और चिकित्सकों को इस दिशा में और अधिक काम करने की आवश्यकता है ताकि वे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बेहतर तरीके से निपट सकें और अपनी भावनात्मक स्थिति को संतुलित रख सकें।

अमेजन के वर्षावनों में लगी आग, जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को उजागर करती है और वैज्ञानिकों की मानसिक स्थिति पर भी गहरा प्रभाव डाल रही है। ये जंगल न केवल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वैश्विक जलवायु संतुलन बनाए रखने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान है। लेकिन, हाल के वर्षों में इनकी स्थिति में आई गिरावट और आग के कारण इनका कार्बन सिंक के रूप में कार्य करना कमजोर पड़ा है।

वैज्ञानिकों का इस स्थिति के प्रति मानसिक तनाव बढ़ रहा है। जलवायु संकट के प्रभावों को समझने और प्रबंधित करने में लगे वैज्ञानिक अब केवल पर्यावरणीय नुकसान को नहीं देख रहे, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा असर हो रहा है। इस तनाव को कम करने के लिए, वैज्ञानिक समुदाय और स्वास्थ्य पेशेवरों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है, ताकि वे अपने भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रख सकें।

भविष्य में, यदि हमें जलवायु संकट का प्रभाव कम करना है, तो हमें न केवल पर्यावरणीय उपायों पर ध्यान देना होगा, बल्कि वैज्ञानिकों और पर्यावरण विशेषज्ञों की मानसिक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता देनी होगी। यही समय है कि हम इस दिशा में ठोस कदम उठाएं और एक स्थिर और स्वस्थ भविष्य की दिशा में काम करें।

Source- down to earth

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