विश्व वन्यजीव अपराध रिपोर्ट 2024: अवैध तस्करी

saurabh pandey
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संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (यूएनओडीसी) ने हाल ही में अपनी विश्व वन्यजीव अपराध रिपोर्ट 2024 जारी की है। रिपोर्ट ने 2015 से 2021 तक के अवधि में वन्यजीव अपराध की गतिविधियों पर प्रकाश डाला है, जिसमें स्पष्ट रूप से विभिन्न प्रजातियों और उनके अंगों की अवैध तस्करी के आंकड़े शामिल हैं।

मुख्य बिंदु:

  • प्रभावित प्रजातियाँ: रिपोर्ट के अनुसार, 2015-2021 के दौरान अवैध वन्यजीव व्यापार में सबसे अधिक प्रभावित प्रजातियाँ चीड़ और देवदार रही हैं। इनकी अवैध तस्करी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
  • सर्वाधिक ज़ब्ती: अवैध वन्यजीव व्यापार से जुड़े उत्पादों की सबसे अधिक ज़ब्ती कोरल से हुई है, इसके बाद मगरमच्छ और हाथी से जुड़े उत्पादों की संख्या रही।
  • वृद्धि और गिरावट: 2015-2019 के दौरान जानवरों की ज़ब्ती में लगातार वृद्धि हुई, जबकि 2020 और 2021 में इसमें कमी आई। इसके विपरीत, इन वर्षों में पौधों की प्रजातियों की ज़ब्ती में तेज़ी से वृद्धि हुई है।

वन्यजीव अपराध को बढ़ावा देने वाले कारक:

  • मांग और व्यापार: जंगली जानवरों का पालतूकरण, बुशमीट और सजावटी पौधों की मांग अवैध व्यापार को बढ़ावा देती है। अवैध व्यापारी काले बाजार में पौधों और वन्यजीवों के अंगों को बेचकर भारी लाभ कमाते हैं।
  • भ्रष्टाचार: भ्रष्टाचार के कारण वन्यजीवों का अवैध प्रजनन, व्यापार और शोषण संभव होता है। सरकारी प्रतिबंध भी प्रभावी नहीं हो पाते, जिससे वन्यजीव अपराध बढ़ते हैं।

वन्यजीव अपराध के प्रभाव:

  • पर्यावरणीय प्रभाव: अत्यधिक शोषण के कारण वन्यजीव प्रजातियों की संख्या में कमी आ रही है, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन पैदा हो रहा है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र में आक्रमण: अवैध तस्करी के कारण विदेशी आक्रामक प्रजातियाँ पारिस्थितिकी तंत्र में प्रवेश कर रही हैं, जो स्थानीय प्रजातियों के लिए खतरा पैदा कर रही हैं।
  • आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: वन्यजीव अपराध मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध धन की आवाजाही को बढ़ावा देते हैं। जीवित पशुओं और वन्यजीवों से प्राप्त मांस और पौधों से मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, जंगलों से प्राप्त खाद्य पदार्थ, दवाइयाँ और ऊर्जा के संसाधन भी प्रभावित होते हैं।

विश्व वन्यजीव अपराध रिपोर्ट 2024 ने अवैध वन्यजीव व्यापार की गंभीरता और इसके पर्यावरणीय, सामाजिक, और आर्थिक प्रभावों को स्पष्ट रूप से उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, वन्यजीव अपराध में लगातार वृद्धि हुई है, जिसमें विशेष रूप से चीड़, देवदार, कोरल, मगरमच्छ, और हाथी जैसी प्रजातियाँ शामिल हैं। इन अपराधों को बढ़ावा देने वाले मुख्य कारकों में जंगली जानवरों का पालतूकरण, सजावटी पौधों की मांग, और भ्रष्टाचार शामिल हैं।

वन्यजीव अपराध का पर्यावरणीय प्रभाव गहरा है, जिससे वन्यजीव प्रजातियों की संख्या में कमी और पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन उत्पन्न हो रहा है। इसके अलावा, अवैध तस्करी से विदेशी आक्रामक प्रजातियाँ स्थानीय प्रजातियों को खतरे में डाल रही हैं। आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से, यह अपराध मनी लॉन्ड्रिंग और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को बढ़ावा देते हैं।

रिपोर्ट ने यह संकेत भी दिया है कि इन समस्याओं का समाधान ठोस और प्रभावी नीति, पारदर्शिता, और समन्वित अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के माध्यम से संभव है। देशों को इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि वन्यजीवों और उनके आवासों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके और अवैध व्यापार को समाप्त किया जा सके।

रिपोर्ट ने वन्यजीव अपराध की गंभीरता को उजागर करते हुए विभिन्न देशों को इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया है।

source and data – VISION IAS magzine

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