हर साल 18 सितंबर को दुनियाभर में विश्व जल निगरानी दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को जल संसाधनों की निगरानी और संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। आज, जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या और जल प्रदूषण जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है, स्वच्छ जल तक पहुंच एक बड़ी समस्या बन गई है। दुनिया भर में करीब 2.2 अरब लोग स्वच्छ पीने के पानी से वंचित हैं।
पानी: जीवन का आधार
पानी, हमारी धरती पर सबसे मूल्यवान संसाधनों में से एक है। यह हमारे जीवन का आधार है, बिना पानी के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मानव शरीर का 60-70% हिस्सा पानी से बना होता है, और इसे नियमित रूप से बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। विशेषज्ञों का कहना है कि हम तीन सप्ताह तक बिना भोजन के जीवित रह सकते हैं, लेकिन बिना पानी के कुछ ही दिनों में हमारा शरीर काम करना बंद कर सकता है।
पानी की कमी केवल स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक स्थिरता के लिए भी खतरा बनती जा रही है। पानी का संकट अब वैश्विक स्तर पर एक गंभीर मुद्दा बन चुका है, खासकर उन देशों में जहां पानी के स्रोत सीमित हैं और प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है।
भारत में जल संकट: बड़ी आबादी, सीमित संसाधन
भारत, जो दुनिया की 18% आबादी का घर है, केवल 4% जल संसाधनों के साथ काम कर रहा है। यह असंतुलन भारत को दुनिया के सबसे जल संकटग्रस्त देशों में से एक बनाता है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, देश की एक बड़ी आबादी जल संकट का सामना कर रही है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, लोग पीने के साफ पानी के लिए मीलों पैदल चलने को मजबूर हैं।
मॉनसून की अनियमितता और जलवायु परिवर्तन ने इस संकट को और बढ़ा दिया है। हर साल कई भारतीय राज्यों में बाढ़ और सूखा जैसी चरम जलवायु घटनाएं देखने को मिलती हैं, जो न केवल जल आपूर्ति को प्रभावित करती हैं, बल्कि कृषि और आजीविका पर भी भारी असर डालती हैं।
जलवायु परिवर्तन और जल संकट
जलवायु परिवर्तन ने जल संसाधनों को गंभीर खतरे में डाल दिया है। बारिश के पैटर्न में बदलाव, ग्लेशियरों का पिघलना और समुद्र के स्तर में वृद्धि जैसी घटनाएं जल संकट को और भी विकराल बना रही हैं। भारत में, जहां कृषि मुख्य रूप से मॉनसून पर निर्भर है, जलवायु परिवर्तन से फसलों की पैदावार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सूखा और बाढ़ जैसी आपदाएं न केवल खाद्य सुरक्षा को खतरे में डालती हैं, बल्कि पानी की उपलब्धता को भी सीमित कर रही हैं।
स्वच्छ पानी तक पहुंच: एक वैश्विक चुनौती
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया की लगभग 2.2 अरब आबादी के पास सुरक्षित पेयजल तक पहुंच नहीं है। इसके अलावा, 4.2 अरब लोग ऐसी जगहों पर रहते हैं, जहां पर्याप्त सफाई और स्वच्छता की सुविधाएं नहीं हैं। यह आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि पानी की कमी और प्रदूषण केवल स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी बड़ा खतरा है।
विशेष रूप से गरीब और विकासशील देशों में यह समस्या अधिक गंभीर है। इन देशों में जल संसाधनों की कमी और उनके सही प्रबंधन की जरूरत पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के कई देशों में स्वच्छ पानी तक पहुंच एक दूर की कौड़ी है।
विश्व जल निगरानी दिवस का महत्व
विश्व जल निगरानी दिवस पहली बार 2003 में मनाया गया था। इसका उद्देश्य लोगों को जल संसाधनों की निगरानी और संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। इस दिन, लोग स्थानीय जल निकायों की गुणवत्ता की जांच करते हैं और अपने निष्कर्ष साझा करते हैं।
सभी देशों में, स्थानीय जल निकायों की निगरानी के लिए सस्ती और आसान परीक्षण किट उपलब्ध कराई जाती है, जिससे हर व्यक्ति यह सुनिश्चित कर सके कि उनके आस-पास के पानी की गुणवत्ता कैसी है। इसमें घुली हुई ऑक्सीजन, पीएच स्तर, तापमान और जल की शुद्धता जैसी चीजों की जांच की जाती है। यह प्रक्रिया न केवल पानी की गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि लोगों को पानी के महत्व के बारे में जागरूक भी करती है।
पानी की सुरक्षा के लिए आगे बढ़ें
पानी की निगरानी और संरक्षण केवल सरकारों या संगठनों की जिम्मेदारी नहीं है। यह हम सभी की जिम्मेदारी है। हमें अपने दैनिक जीवन में पानी की बचत करने के उपाय अपनाने चाहिए। जैसे- नल को खुला न छोड़ना, बारिश के पानी का संरक्षण करना, पानी का पुनर्चक्रण करना, और जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाना।
जल संकट से निपटने के लिए सरकारों को भी ठोस कदम उठाने होंगे। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन में कटौती की जरूरत है। साथ ही, स्थानीय स्तर पर जल स्रोतों की सुरक्षा और पुनर्भरण के लिए योजनाएं बनानी होंगी।
स्वच्छ पानी की उपलब्धता एक गंभीर वैश्विक चुनौती है, और इसका समाधान करने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है। विश्व जल निगरानी दिवस का महत्व हमें यह याद दिलाता है कि जल संकट से निपटना केवल तकनीकी समाधानों का सवाल नहीं है, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम पानी के महत्व को समझें और इसके संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करें।
साफ और सुरक्षित पानी तक पहुंच सुनिश्चित करना, न केवल वर्तमान पीढ़ी की जरूरत है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य का आधार है।
Source- down to earth