प्राकृतिक धरोहर के संरक्षक, विशेषकर आदिवासी और मूल निवासी समुदायों, के लिए संकट की स्थिति

saurabh pandey
3 Min Read

जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चुनौतियों के बीच, प्राकृतिक धरोहर के संरक्षक, विशेषकर आदिवासी और मूल निवासी समुदायों, के लिए संकट की स्थिति उत्पन्न हो रही है। हालांकि ये लोग पृथ्वी की जैवविविधता का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, परंतु जलवायु परिवर्तन और अन्य पर्यावरणीय संकटों का प्रभाव उन पर गहरा पड़ रहा है।

दुनिया की लगभग 80% जैवविविधता उन क्षेत्रों में पाई जाती है जो इन मूल निवासियों के संरक्षण में हैं। इन समुदायों ने सदियों से अपने पारंपरिक ज्ञान और सांस्कृतिक प्रथाओं के माध्यम से पर्यावरण की रक्षा की है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन के कारण इन प्राकृतिक धरोहरों और संसाधनों पर गंभीर खतरे उत्पन्न हो गए हैं।

आदिवासी समुदायों की भूमिका

आदिवासी और मूल निवासी समुदायों ने अपने जीवन और संस्कृति के माध्यम से प्रकृति के साथ एक अनूठा संबंध स्थापित किया है। ये लोग पृथ्वी के बचे हुए 36% अनछुए जंगलों का संरक्षण कर रहे हैं। विश्व भर में लगभग 47.6 करोड़ मूल निवासी गरीबी और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के बावजूद प्रकृति के साथ गहरे संबंध में हैं।

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

जलवायु परिवर्तन इन समुदायों की पारंपरिक आजीविका, खाद्य सुरक्षा और सांस्कृतिक धरोहर को कमजोर कर रहा है। पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव के कारण बाढ़, सूखा, भीषण गर्मी और तूफान जैसी आपदाएँ बढ़ रही हैं। ये आपदाएँ न केवल प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि इन समुदायों की जीवनशैली और सांस्कृतिक प्रथाओं को भी प्रभावित कर रही हैं।

पुरखों का ज्ञान: एक उम्मीद की किरण

हालांकि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर चुनौती है, लेकिन इन समुदायों का पारंपरिक ज्ञान और सांस्कृतिक प्रथाएँ इस संकट का सामना करने में सहायक साबित हो रही हैं। वर्ल्ड बैंक ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें विभिन्न महाद्वीपों और देशों के आदिवासियों के अनुभवों और लोक कथाओं के आधार पर एक फ्रेमवर्क तैयार किया गया है। इस फ्रेमवर्क का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से संबंधित खतरों का सामना करना और इन चुनौतियों से उबरने की क्षमता को बेहतर बनाना है।

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए यह समझना आवश्यक है कि पुरखों का संजोया ज्ञान और पारंपरिक प्रथाएँ इन संकटों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। आदिवासी और मूल निवासी समुदायों के ज्ञान और अनुभव से हम जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक स्थायी और सहनशील भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

इस प्रकार, जलवायु संकट की इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में, पुरखों का ज्ञान और सांस्कृतिक धरोहर एक अमूल्य संपत्ति के रूप में उभर सकते हैं, जो हमें इस संकट का सामना करने में मदद कर सकते हैं।

Source and data – down to earth

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *