एमपॉक्स प्रकोप से निपटने के लिए डब्ल्यूएचओ का पहला कदम: ‘ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी कॉर्प्स’ सक्रिय

saurabh pandey
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अफ्रीका और दुनिया के कई हिस्सों में एमपॉक्स (पूर्व में मंकीपॉक्स) के बढ़ते मामलों ने वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय को सतर्क कर दिया है। इस स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अक्टूबर 2024 में ‘ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी कॉर्प्स’ (जीएचईसी) को पहली बार सक्रिय किया है।

एमपॉक्स का बढ़ता खतरा

2024 में, एमपॉक्स के मामलों में उछाल देखा गया, विशेष रूप से 18 अफ्रीकी देशों में, जहां इस संक्रमण ने तेजी से फैलाव दर्ज किया। यह प्रकोप केवल अफ्रीका तक सीमित नहीं रहा; अन्य क्षेत्रों में भी क्लेड 1 बी एमपॉक्स के प्रसार ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है।

ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी कॉर्प्स (जीएचईसी) क्या है?

जीएचईसी स्वास्थ्य विशेषज्ञों का एक विशिष्ट समूह है, जिसे आपातकालीन स्वास्थ्य संकटों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए तैयार किया गया है। यह कॉर्प्स न केवल प्रभावित देशों की मदद करता है, बल्कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों, तकनीकी पेशेवरों और अन्य जरूरी संसाधनों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है। इसका उद्देश्य संकट के समय में तेज और समन्वित प्रतिक्रिया देना है।

जीएचईसी की पृष्ठभूमि

डब्ल्यूएचओ ने जीएचईसी की स्थापना 2023 में कोविड-19 महामारी के बाद की थी। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य आपात स्थितियों के दौरान देशों की सहायता करना और मौजूदा आपातकालीन नेटवर्क्स के कार्यों को अधिक प्रभावी बनाना था। कोविड-19 के दौरान सामने आई चुनौतियों ने यह स्पष्ट कर दिया था कि दुनिया को ऐसी इकाई की आवश्यकता है, जो तेजी से सक्रिय होकर देशों को विशेषज्ञता और सहायता प्रदान कर सके।

जीएचईसी का महत्व

डब्ल्यूएचओ के इस कदम से यह उम्मीद की जा रही है कि एमपॉक्स जैसी स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने में बेहतर समन्वय स्थापित किया जा सकेगा। जीएचईसी के माध्यम से, देशों को तत्काल विशेषज्ञता, तकनीकी सहायता और प्रतिक्रिया संसाधन मुहैया कराए जाएंगे। इसके अलावा, इस नए नेटवर्क का उद्देश्य आपातकाल के दौरान क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना और वैश्विक स्वास्थ्य संकटों के प्रबंधन में सुधार करना है।

आने वाली चुनौतियां और आगे का रास्ता

एमपॉक्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे इसके नियंत्रण और भविष्य में इससे निपटने के तरीकों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि जीएचईसी की स्थापना और सक्रियता एक महत्वपूर्ण कदम है, फिर भी इसे प्रभावी बनाने के लिए सदस्य देशों के सहयोग की आवश्यकता होगी। साथ ही, यह सुनिश्चित करना होगा कि हर देश के पास जरूरी संसाधन और विशेषज्ञता उपलब्ध हो।

डब्ल्यूएचओ के इस प्रयास से स्वास्थ्य जगत में एक नई उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है। जीएचईसी का उद्देश्य सिर्फ आपातकालीन स्थितियों से निपटना नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य देखभाल ढांचे को मजबूत करना भी है, ताकि भविष्य में ऐसे प्रकोपों का सामना बेहतर तरीके से किया जा सके।

डब्ल्यूएचओ द्वारा ‘ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी कॉर्प्स’ (जीएचईसी) का सक्रिय होना, एमपॉक्स जैसी गंभीर स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिए एक बड़ा कदम है। यह पहल देशों को आवश्यक संसाधन और विशेषज्ञता प्रदान करके आपात स्थितियों में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया देने में सहायक होगी। हालांकि, इसकी सफलता के लिए वैश्विक सहयोग, सदस्य देशों की भागीदारी और संसाधनों की उपलब्धता आवश्यक होगी। यह पहल न केवल वर्तमान संकट से निपटने में मददगार साबित होगी, बल्कि भविष्य में आने वाले स्वास्थ्य संकटों के लिए एक मजबूत आधारशिला भी तैयार करेगी।

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