दिल्ली नगर निगम ने मियावाकी तकनीक का उपयोग करते हुए शहर के विभिन्न क्षेत्रों में वन विकसित करने का प्रयास किया है। इस तकनीक से विकसित वनों के बीच वन विकास का कार्य तेजी से बढ़ रहा है। पिछले दो वर्षों में निगम ने आठ स्थानों पर मियावाकी तकनीक का उपयोग कर शहरी वन विकसित किए हैं। इस वर्ष, निगम ने दिल्ली भर में 13 नए स्थानों की पहचान की है, जहां तेजी से बढ़ने वाले देशी पौधों के बगीचे लगाए जाएंगे। इनमें गाजीपुर और भलस्वा लैंडफिल साइट भी शामिल हैं।
जापानी पारिस्थितिकीविद् अकीरा मियावाकी ने 1970 के दशक में शहरी क्षेत्रों में छोटे वन विकसित करने की विधि विकसित की थी, जिसे बाद में विभिन्न निगमों ने अपनाया और इस तकनीक का दुनिया भर में प्रसार हुआ। इस तकनीक के द्वारा विकसित किए गए मिनी बगीचे शून्य खर्च में और कम समय में तैयार हो जाते हैं।
इस वर्ष, नगर निगम ने वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान अपने पार्कों में दो लाख से अधिक पौधे और तीन लाख झाड़ियां लगाने का लक्ष्य रखा है। इसमें सड़कों पर 181 पौधे और 1243 झाड़ियां भी शामिल हैं। इस साल अप्रैल से जून के बीच, निगम ने 1.30 लाख से अधिक पौधे और झाड़ियां लगाए हैं।
एक वरिष्ठ निगम अधिकारी ने बताया कि इन वनों की देखभाल दो-तीन साल तक की जाती है, जिसके बाद ये बड़े हो जाते हैं और पर्यावरण को हरा-भरा बनाते हैं। निगम ने पिछले पांच वर्षों में दिल्ली में करीब 22 लाख पौधे लगाए हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार के फलदार, फूलदार, औषधीय और झाड़ीदार पौधे शामिल हैं।
मियावाकी तकनीक: शहरी वन विकास का एक नया दृष्टिकोण
मियावाकी तकनीक एक प्रकार की शहरी वन विकास तकनीक है जिसका उपयोग शहरी क्षेत्रों में छोटे-छोटे वनों को विकसित करने के लिए किया जाता है। यह तकनीक आमतौर पर शहरी विकास के दौरान उपयोग की जाती है ताकि शहरी क्षेत्रों में हरित क्षेत्रों का विस्तार किया जा सके। इस तकनीक का प्रमुख लक्ष्य शहरी क्षेत्रों में पर्यावरण सुधारना और जलवायु परिवर्तन को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा के साथ संबंधित समस्याओं से निपटने में मदद करना है।
मियावाकी तकनीक के मुख्य विशेषताएँ:
तेजी से विकास: यह तकनीक शहरी क्षेत्रों में तेजी से वन विकसित करने की क्षमता रखती है। यह शामिल करता है कि बिना बहुत बड़े खर्च के और शीघ्रता से विकसित किया जा सकता है।
कम समय और खर्च: इस तकनीक का उपयोग करने से शहरी विकासकों को कम समय और कम लागत में हरित क्षेत्र विकसित करने की संभावना होती है।
पर्यावरणीय लाभ: इस तकनीक के माध्यम से विकसित किए गए वन पर्यावरणीय लाभ प्रदान करते हैं, जैसे कि जलवायु परिवर्तन से बचाव, हवा की गुणवत्ता में सुधार, और शहरी जीवन में शांति और संतुलन लाना।
सामाजिक और सांस्कृतिक लाभ: इस तकनीक से विकसित किए गए हरित क्षेत्र लोगों के लिए सामाजिक संबंधों को मजबूत करते हैं और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देते हैं।
उदाहरण और प्रसार: मियावाकी तकनीक का प्रयोग विभिन्न देशों में किया गया है और इसे विश्वभर में प्रसारित किया गया है। यह एक विकसित और प्रभावी प्रवाह के साथ आने वाले समय में पर्यावरण सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है।
इस तरह, मियावाकी तकनीक एक सुस्त और प्रभावी तरीके से शहरी वन विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक व्यावसायिक समाधान के रूप में प्रकट हो रही है।