राजस्थान में पानी की किल्लत ने एक नई समस्या को जन्म दे दिया है, जो कि पानी माफिया के रूप में उभर रही है। राज्य में जल संकट के बीच, टैंकरों की कीमतें बढ़ती जा रही हैं और भू-जल का दोहन अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 30 वर्षों में भू-जल दोहन 114% बढ़ गया है, जो कि एक गंभीर पर्यावरणीय चिंता का विषय है।
पानी की कमी और टैंकरों का राज
राजस्थान के बालोतरा जिले के खारड़ी गांव में जल जीवन मिशन के तहत हर घर में नल पहुंचाने का सरकारी दावा किया गया है। हालांकि, वास्तविकता इसके विपरीत है। गांव के आखिरी छोर पर स्थित जोरसिंह (28) की स्थिति इसका स्पष्ट उदाहरण है। जोरसिंह बताते हैं कि उनके घर में पानी की सप्लाई कभी भी नियमित नहीं होती। पाइपलाइन की टेल प्वाइंट पर पानी की सप्लाई बेहद कम होती है, जिससे उनकी दैनिक जरूरतें पूरी नहीं हो पातीं।
टैंकरों की बढ़ती कीमतें
पानी की कमी की समस्या का समाधान अब टैंकरों पर निर्भर हो गया है। खारड़ी गांव के निवासी टैंकर मंगवाने के लिए हर महीने 1000 से 2500 रुपए खर्च कर रहे हैं। ये टैंकर पास के चिड़ियारा तालाब या निजी बेरी से पानी भरकर लाए जाते हैं। स्थानीय बेरी वाले एक टैंकर के 100-200 रुपए तक वसूलते हैं। इसके बावजूद, पानी की पर्याप्त उपलब्धता एक सपना ही बनकर रह गई है।
भू-जल दोहन की बढ़ती चिंता
राजस्थान में भू-जल दोहन की दर में अत्यधिक वृद्धि हुई है, जो कि जल संकट को और भी गंभीर बना रही है। पिछले 30 वर्षों में भू-जल का दोहन 114% बढ़ गया है, जिससे जल स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रवृत्ति को तुरंत रोकने की जरूरत है, अन्यथा भविष्य में जल संकट और भी विकराल हो सकता है।
सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव
पानी की कमी और भू-जल दोहन का सीधा असर स्थानीय जनसंख्या की जीवनशैली पर पड़ रहा है। टैंकर माफिया के सक्रिय होने से न केवल लोगों को महंगे दामों पर पानी खरीदना पड़ रहा है, बल्कि इसके कारण सामाजिक तनाव और आर्थिक समस्याएं भी बढ़ रही हैं। इसके अतिरिक्त, लगातार भू-जल का दोहन पर्यावरणीय असंतुलन को जन्म दे रहा है, जिससे दीर्घकालिक जल संकट की आशंका बढ़ रही है।
राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस गंभीर समस्या का समाधान तुरंत निकालने की जरूरत है। जल संरक्षण, भू-जल पुनर्भरण योजनाओं और सख्त नियमों के माध्यम से ही इस संकट से पार पाया जा सकता है।
राजस्थान में पानी की कमी और भू-जल दोहन की समस्याएँ राज्य के लिए गंभीर चुनौती बन चुकी हैं। सरकारी प्रयासों के बावजूद, गांवों में जल जीवन मिशन के दावे की वास्तविकता काफी हद तक असत्य है। टैंकरों की बढ़ती कीमतें और पानी माफिया की बढ़ती ताकत स्थानीय लोगों के जीवन को कठिन बना रही है, साथ ही भू-जल का अत्यधिक दोहन पर्यावरणीय संकट को और भी गंभीर बना रहा है।
वर्तमान में, सरकारी और स्थानीय प्रशासन के बीच समन्वय की कमी और जल प्रबंधन की असफलता के कारण समस्या के समाधान की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इस परिदृश्य को देखते हुए, यह अत्यंत आवश्यक है कि जल संरक्षण और भू-जल पुनर्भरण के लिए प्रभावी उपाय लागू किए जाएं। अगर तुरंत और प्रभावी उपाय नहीं किए गए, तो भविष्य में जल संकट और भी गंभीर रूप ले सकता है, जिससे जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना कठिन हो जाएगा।
Source – down to earth