वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की सख्ती: दिल्ली-एनसीआर में वाहनों से प्रदूषण रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

saurabh pandey
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दिल्ली-एनसीआर में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को सीमित करने के लिए केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने कठोर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने 31 दिसंबर 2024 तक केवल स्वच्छ ईंधन से चलने वाली बसों को ही प्रवेश की अनुमति देने की समयसीमा तय की है। यह निर्णय दिल्ली-एनसीआर के गंभीर प्रदूषण स्तर को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, विशेषकर सर्दियों के दौरान जब स्थिति और भी भयावह हो जाती है।

प्रमुख दिशा-निर्देश और समयसीमा

केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दूसरे राज्यों से दिल्ली-एनसीआर में प्रवेश करने वाली बसों के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और जम्मू कश्मीर से आने वाली बसों के बेड़े में बदलाव करने के निर्देश दिए गए हैं। आयोग ने 31 मार्च 2025 तक इन बसों को स्वच्छ ईंधन पर संचालित करने की समयसीमा तय की है।

वायु प्रदूषण में वाहनों की भूमिका

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के प्रमुख कारकों में वाहनों से निकलने वाला धुआं शामिल है। विभिन्न शोधों में यह सामने आया है कि प्रदूषण में वाहनों से निकलने वाले धुएं की हिस्सेदारी 42 फीसदी तक हो सकती है। आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, 31 दिसंबर 2024 तक दिल्ली-एनसीआर में प्रवेश करने वाली सभी बसों को स्वच्छ ईंधन से ही चलाना होगा। केवल उत्तराखंड को इस दिशा-निर्देश में कुछ छूट मिली है। उत्तराखंड से एनसीआर में कुल 541 बसें संचालित होती हैं, जिनमें से 162 बसें स्वच्छ ईंधन से चल रही हैं।

उत्तराखंड के लिए विशेष समयसीमा

उत्तराखंड ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के समक्ष यह कहा है कि उसकी 190 अन्य बसें भी 31 दिसंबर 2024 तक सीएनजी से चलने लगेंगी। शेष बसों के लिए समयसीमा 31 मार्च 2025 तय की गई है। यह छूट उत्तराखंड को उसके विशेष भूगोलिक और आर्थिक परिस्थितियों के मद्देनज़र दी गई है।

प्रदूषण की गंभीर स्थिति और इसके प्रभाव

दिल्ली-एनसीआर देश के सबसे प्रदूषित इलाकों में शामिल है। सर्दियों में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है जब स्मॉग के कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इस दौरान स्कूल-कॉलेज तक बंद करने पड़ते हैं। ऐसे में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करना अत्यंत आवश्यक हो गया है।

आयोग की सख्ती: एक आवश्यक कदम

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का यह कदम प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और आवश्यक कदम है। स्वच्छ ईंधन से चलने वाली बसें न केवल वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करेंगी, बल्कि इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।

जनता और सरकार का सहयोग आवश्यक

इस समस्या के समाधान के लिए सरकार और जनता दोनों को मिलकर काम करना होगा। सरकार को वाहनों के लिए स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने वाली नीतियाँ बनानी होंगी, जबकि जनता को इन नीतियों का पालन करना होगा। इसके साथ ही, प्रदूषण के अन्य स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए भी सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

दिल्ली-एनसीआर में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के दिशा-निर्देश एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इन दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करके ही हम अपने पर्यावरण और स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं।

सौरभ पाण्डेय

Prakritiwad.com

Source- हिन्दुस्तान समाचार पत्र

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