असम में सितंबर के महीने में बढ़ती गर्मी ने सभी को हैरान कर दिया है। इस बार का तापमान सामान्य से कहीं अधिक, 40 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया है, जो पूर्वोत्तर राज्य के निवासियों के लिए एक असामान्य घटना है। जबकि मौसम अधिकारियों ने अभी तक लू की घोषणा नहीं की है, लेकिन राज्य के लोग इस “हीट डोम इफेक्ट” से जूझ रहे हैं, जिससे रात में भी राहत नहीं मिल रही है।
हीट डोम इफेक्ट: क्या है?
हीट डोम इफेक्ट एक उच्च-दबाव प्रणाली है, जो व्यापक क्षेत्र में गर्म और शुष्क मौसम का निर्माण करती है। इसका प्रभाव असम में पिछले कुछ दिनों से महसूस किया जा रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि गर्मी इतनी अधिक है कि कुछ मोबाइल एप्लिकेशन ने तापमान को “50 डिग्री जैसा महसूस” कराने की सूचना दी है।
विशेषज्ञों का मत
गुवाहाटी स्थित कॉटन यूनिवर्सिटी के जलवायु विज्ञान विशेषज्ञ, एसोसिएट प्रोफेसर राहुल महंत का कहना है, “इस बार हमने देखा है कि मॉनसून का परिसंचरण पूरी तरह से गायब है। आमतौर पर, बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवा क्षेत्र को ठंडा रखती है। लेकिन इस साल, उच्च दबाव प्रणाली ने स्थिति को बदल दिया है।” उन्होंने यह भी बताया कि मिट्टी की नमी की कमी और औद्योगिकीकरण का बढ़ता दबाव भी इस गर्मी का कारण है।
गर्मी से प्रभावित लोग
पिछले कुछ दिनों में गर्मी के कारण कई लोगों की जानें चली गई हैं। असम के विभिन्न हिस्सों से सामने आई रिपोर्टों के अनुसार, 23 सितंबर को एक दिहाड़ी मजदूर बादल भुइयां की हीट स्ट्रोक के कारण मृत्यु हो गई। इसी तरह, जोरहाट में दो श्रमिकों की भी इस गर्मी से मौत हो गई। यह स्थिति ग्रामीणों के लिए चिंता का कारण बन गई है, खासकर उन लोगों के लिए जो दैनिक मजदूरी पर निर्भर हैं।
स्वास्थ्य विभाग की तैयारियाँ
असम राज्य आपदा प्रबंधन एजेंसी (एएसडीएमए) ने स्वास्थ्य अधिकारियों को गर्मी के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के रिकॉर्डिंग के लिए निर्देश दिए हैं। एएसडीएमए की परियोजना अधिकारी मंदिरा बुरागोहेन ने बताया, “हम स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से आग्रह कर रहे हैं कि वे गर्मी के कारण होने वाली किसी भी घटना का ध्यान रखें।”
भविष्य की संभावनाएँ
हालाँकि मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में बारिश की गतिविधियों की उम्मीद जताई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और मानवजनित गतिविधियों का बढ़ता प्रभाव इस तरह की असामान्य गर्मी की स्थिति को बढ़ा सकता है।
सरकार की जिम्मेदारी
राज्य सरकार को चाहिए कि वह इस समस्या का समाधान खोजने के लिए ठोस कदम उठाए और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए आवश्यक उपायों को लागू करे। विशेषज्ञों की सलाह और स्थानीय निवासियों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी को इस गर्मी से सुरक्षित रखा जाए।
इस प्रकार, असम के निवासियों के लिए यह समय जागरूकता और समन्वय का है, ताकि वे इस चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना कर सकें। असम में चल रही गर्मी की लहर ने ना केवल लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित किया है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था और कृषि पर भी गहरा असर डाल सकती है। इस प्रकार की मौसम की अनिश्चितता के चलते, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को बेहतर योजनाओं की आवश्यकता है ताकि वे इस स्थिति का सामना कर सकें और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।
असम में चल रही असामान्य गर्मी की लहर ने न केवल निवासियों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाला है, बल्कि यह क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और कृषि पर भी खतरे के बादल लाए हैं। विशेषज्ञों की चेतावनियों और स्थानीय लोगों की चिंताओं को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
राज्य सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इस समस्या के समाधान के लिए प्रभावी कदम उठाएं, जिसमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए आवश्यक उपाय शामिल हों। इस समय जागरूकता और सामूहिक प्रयास बहुत जरूरी हैं, ताकि असम के लोग इस चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना कर सकें और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।
भविष्य में, मौसम की अनिश्चितताओं के प्रति सतर्क रहना और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना न केवल असम बल्कि पूरे देश के लिए आवश्यक है। अगर उचित कदम उठाए गए, तो हम इस तरह की समस्याओं से बेहतर तरीके से निपट सकेंगे और एक सुरक्षित और स्थायी भविष्य की दिशा में बढ़ सकेंगे।