राजस्थान में अनूठी पहल: बेटी के जन्म पर 111 पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण की ओर कदम

saurabh pandey
4 Min Read

राजस्थान के राजसमंद जिले का पिपलांत्री गांव एक अनूठी परंपरा के लिए जाना जाता है, जो न केवल बेटी के जन्म का स्वागत करता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देता है। इस परंपरा के तहत, गांव में बेटी के जन्म पर परिवार को 111 पौधे लगाने होते हैं। इस पहल की शुरुआत वर्ष 2008 में तत्कालीन सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल द्वारा की गई थी और तब से यह परंपरा लगातार जारी है।

पारंपरिक उत्सव और पौधारोपण

रक्षाबंधन के अवसर पर, पिपलांत्री गांव में पर्यावरण महोत्सव मनाया जाता है, जिसमें बहनें और बेटियां पेड़ों को राखी बांधती हैं और उनकी सुरक्षा का संकल्प लेती हैं। यह परंपरा न केवल बेटी के जन्म का स्वागत करती है बल्कि पेड़ों की सुरक्षा और संरक्षण को भी सुनिश्चित करती है। ग्रामीणों का मानना है कि इस परंपरा से पेड़ों की निरंतर देखभाल होती है और पर्यावरण में सुधार होता है।

वित्तीय सहायता और पौधों की देखभाल

गांव की पंचायत बेटी के जन्म पर माता-पिता से 10 हजार रुपए और भामाशाहों से 21 हजार रुपए जुटाकर उसकी एफडी (फिक्स्ड डिपॉज़िट) करती है। इस एफडी की राशि लड़की की शादी के समय दी जाती है। यह पहल आर्थिक सहायता के साथ-साथ बेटी के जन्म को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण भी प्रदान करती है।

पर्यावरण सुधार की दिशा में प्रयास

पालीवाल ने अपने कार्यकाल के दौरान कई सुधारात्मक कदम उठाए। पानी की कमी और पेड़-पौधों के नष्ट होने की समस्याओं का सामना करने के लिए उन्होंने चेक डैम बनाए और जलस्तर बढ़ाया। 2007 में अपनी बेटी किरण की मृत्यु के बाद, उन्होंने पौधारोपण और संरक्षण के अभियान की शुरुआत की। इस अभियान ने गांव की पर्यावरणीय स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

पिपलांत्री गांव ने पिछले डेढ़ दशक में 1.5 लाख से अधिक पेड़ लगाए हैं। गांव का पर्यावरण सुधर गया है और ग्रामीणों को लड़कियों की शादी में आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाती है। हाल ही में, रक्षाबंधन के पूर्व 16 अगस्त को मनाए गए पर्यावरण महोत्सव में एक हजार से ज्यादा लड़कियों ने पौधों को राखी बांधी। इस समारोह में राज्य के सहकारिता मंत्री गौतम दक, सांसद महिमा कुमारी और विधायक दीप्ति माहेश्वरी भी शामिल हुईं।

सामाजिक मान्यता

पालीवाल को वर्ष 2021 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है, जो उनकी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किए गए कार्यों की मान्यता है। उनकी पहल ने पिपलांत्री गांव को न केवल एक मिसाल बना दिया है बल्कि पूरे देश में पर्यावरण संरक्षण और बेटी के जन्म के स्वागत के प्रति एक सकारात्मक संदेश भेजा है।

पिपलांत्री का यह पहल एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जो दिखाता है कि कैसे एक छोटी सी पहल पूरे समाज को बदल सकती है। बेटी के जन्म पर 111 पौधे लगाना और पर्यावरण महोत्सव का आयोजन करके, यह गांव ने सस्टेनेबल विकास और सामाजिक साक्षरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

Source- दैनिक जागरण  

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *