सूर्य की तेज रोशनी में सौर पैनल शानदार तरीके से काम करते हैं, लेकिन कम धूप की स्थिति में उनकी ऊर्जा उत्पादन क्षमता में कमी आती है। अमेरिका की टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक अध्ययन में पाया है कि कम रोशनी में उगने वाले ‘ज्वेल ऑर्किड’ पौधे की अनूठी विशेषताएँ सौर पैनल के डिजाइन में सुधार के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती हैं। इस अध्ययन में बताया गया है कि ‘मैकोड्स पेटोला ज्वेल ऑर्किड’ की पत्तियाँ विशेष प्रकार की गुंबददार कोशिकाओं से बनी होती हैं, जो अन्य पौधों की तुलना में तीन गुना अधिक रोशनी को सोखने में सक्षम होती हैं। ये कोशिकाएं एक ऑप्टिकल नेटवर्क के रूप में काम करती हैं, जिससे पौधा अधिकतम रोशनी को रासायनिक ऊर्जा में बदल देता है।
शोध का विवरण
इस अध्ययन में प्रकाशित डेटा के अनुसार, वैज्ञानिकों ने ज्वेल ऑर्किड की पत्तियों की लाइट हार्वेस्टिंग और ऑप्टिकल नेटवर्किंग क्षमताओं की नकल करने के लिए सिल्क-प्रोटीन आधारित बायोमटेरियल का इस्तेमाल किया। प्रोफेसर सी डोबल के अनुसार, “इन सामग्रियों से बने सौर पैनल मौजूदा लचीले पैनलों को और अधिक प्रभावशाली बना सकते हैं।” महामारी के दौरान, वैज्ञानिकों ने धातु जैसी पत्तियों वाले पौधों की माइक्रोस्कोपिक जाँच की और देखा कि इनकी सतह पर मौजूद सूक्ष्म पैटर्न ने प्रकाश को फैलाने और सोखने की प्रक्रिया को बेहतर बनाया।
पौधों से प्रेरित डिज़ाइन
ज्वेल ऑर्किड के पत्तों की सतह पर सिलिकॉन पॉलीमर की पतली परत लगाकर और रेशम प्रोटीन मिश्रण डालकर उनके आकार और पैटर्न की सटीक प्रतिलिपि बनाई गई। यह पद्धति न केवल पौधों की कोशिकाओं की गोल आकार की नकल करती है बल्कि उनकी वक्रता और लचीलेपन को भी प्रतिबिंबित करती है। इस डिज़ाइन ने सौर पैनलों के निर्माण के लिए एक नई दिशा प्रदान की है, जो कम रोशनी में भी अधिक ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं।
भविष्य की संभावनाएँ
शोधकर्ताओं का मानना है कि ज्वेल ऑर्किड की पत्तियों के ऑप्टिकल नेटवर्क से प्रेरित सौर पैनल डिज़ाइन भविष्य में ऊर्जा उत्पादन की क्षमता को बढ़ा सकते हैं। इस प्रकार की जैविक संरचनाओं को तकनीकी उपकरणों में शामिल करने से ऊर्जा दक्षता में सुधार संभव हो सकता है, जिससे पैनल विभिन्न प्रकाश स्थितियों में भी प्रभावी रह सकते हैं।
ज्वेल ऑर्किड के पत्तों की अनूठी विशेषताएँ सौर पैनलों के डिज़ाइन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं, जो न केवल कम धूप वाले वातावरण में अधिक ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं बल्कि पूरी तरह से नए प्रकार के सौर पैनलों के विकास में भी मददगार साबित हो सकते हैं।
Source – अमर उजाला