केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने कर्नाटक को येत्तिनाहोल परियोजना पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया

saurabh pandey
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केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कर्नाटक सरकार को येत्तिनाहोल अंतर-बेसिन जल अंतरण परियोजना के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। यह परियोजना वन भूमि के परिवर्तन और पर्यावरणीय प्रभाव पर केंद्रित है, जिसमें केंद्रीय मंत्रालय ने खासतौर पर वन भूमि के डायवर्सन और इसके पारिस्थितिकीय प्रभावों को रेखांकित किया है।

येत्तिनाहोल परियोजना का उद्देश्य सूखा प्रभावित क्षेत्रों को पेयजल आपूर्ति करना है, और इसके पहले चरण का उद्घाटन 6 सितंबर, 2024 को किया गया। इस परियोजना के तहत 1,200 हेक्टेयर भूमि पर काम किया जा रहा है, जिसमें से आधी जमीन वन क्षेत्रों की है। हालांकि, केंद्रीय मंत्रालय ने इस भूमि को टुकड़ों में विभाजित करने के प्रस्ताव पर चिंता जताई है और एक समेकित योजना प्रस्तुत करने की सलाह दी है।

वन भूमि उपयोग और वनीकरण की चिंताओं को लेकर मंत्रालय ने कर्नाटक सरकार से प्रतिपूरक वनीकरण (सीए) योजना और प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा है। साथ ही, उन स्थानों के बारे में भी स्पष्टीकरण मांगा गया है जिनसे वनीकरण की योजना बनाई गई है। इसके अलावा, परियोजना के तहत उपयोग की गई भूमि की समीक्षा और संभावित ओवरलैप की समस्याओं को भी स्पष्ट करने के लिए कहा गया है।

पर्यावरणीय चिंताओं में 2022 की एक रिपोर्ट का संदर्भ लिया गया है, जिसमें परियोजना के कारण भूस्खलन और पश्चिमी घाट के नुकसान का उल्लेख किया गया था। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 22,000 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद परियोजना अपने वादे को पूरा करने में विफल रही है।

सामग्री की कमी और पर्यावरणीय चिंताओं को लेकर मंत्रालय ने एक तथ्यात्मक रिपोर्ट और परियोजना की स्थिरता का समग्र मूल्यांकन करने की आवश्यकता पर बल दिया है। कर्नाटक सरकार को इन चिंताओं का समाधान प्रस्तुत करने और पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों को लागू करने की दिशा में एक पारदर्शी और व्यापक प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता है।

येत्तिनाहोल परियोजना, जो कर्नाटक के कई जिलों में पानी की गंभीर कमी को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, अब पर्यावरण अनुपालन और नियामक अनुमोदन से संबंधित चुनौतियों का सामना कर रही है। परियोजना का भविष्य राज्य सरकार की प्रतिक्रिया और पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों पर निर्भर करेगा।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय का येत्तिनाहोल परियोजना पर निर्देश कर्नाटक सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। परियोजना की वन भूमि उपयोग और पर्यावरणीय प्रभावों पर उठाए गए सवालों को गंभीरता से लेते हुए, राज्य सरकार को विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है। मंत्रालय ने वन भूमि के डायवर्सन, वनीकरण की योजनाओं, और वन्यजीव शमन योजनाओं पर स्पष्टता की मांग की है।

परियोजना का उद्देश्य सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति को सुनिश्चित करना है, लेकिन इसकी कार्यान्वयन प्रक्रिया में पर्यावरणीय चिंताओं और प्रक्रियात्मक खामियों के कारण गंभीर सवाल उठ रहे हैं। मंत्रालय की रिपोर्ट और पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों की समीक्षा के बिना, परियोजना का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है।

Source- down to earth

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