शनिवार को पांचवां वार्षिक अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस मनाया गया, जिसमें वायु प्रदूषण से निपटने के लिए भारी निवेश की मांग उठाई गई। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेताया कि वायु प्रदूषण न केवल मानव स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को भी नुकसान पहुंचा रहा है और जलवायु संकट को तेज कर रहा है।
गुटेरेस ने बताया कि वर्तमान में 99% से अधिक वैश्विक आबादी प्रदूषित हवा में सांस लेने के लिए मजबूर है, जिससे हर साल 80 लाख से अधिक लोगों की मौत हो रही है। इसमें पाँच साल से कम उम्र के 700,000 से अधिक बच्चे भी शामिल हैं, जिन पर प्रदूषित हवा का अधिक नकारात्मक असर पड़ता है।
वायु प्रदूषण अब वैश्विक स्तर पर समय से पहले मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा जोखिम कारक बन चुका है, जो तम्बाकू और कुपोषण से भी अधिक घातक हो गया है। इसके बावजूद, अंतरराष्ट्रीय विकास निधि का 1% से भी कम हिस्सा इस समस्या से निपटने के लिए आवंटित किया जाता है। अकेले स्वास्थ्य संबंधी नुकसान की वजह से दुनिया हर साल 8.1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान उठा रही है।
संयुक्त राष्ट्र ने इस साल “स्वच्छ वायु में निवेश” को प्राथमिकता देते हुए कहा कि सरकारों और व्यवसायों को जीवाश्म ईंधन को धीरे-धीरे खत्म करने, वायु गुणवत्ता निगरानी में सुधार, और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
वायु प्रदूषण से निपटना तत्काल आवश्यकता है, और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े पैमाने पर निवेश और प्रयासों की जरूरत है। अगर इसे प्राथमिकता नहीं दी गई, तो स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों पर इसके गहरे प्रभाव और भी बढ़ते जाएंगे।
वायु प्रदूषण एक वैश्विक आपदा बन चुका है, जो स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है। 99% आबादी के प्रदूषित हवा में सांस लेने से हर साल लाखों मौतें हो रही हैं, और इसके बावजूद इसे नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त निवेश और संसाधन नहीं लगाए जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र का स्वच्छ हवा में निवेश करने का आह्वान एक स्पष्ट संकेत है कि सरकारों और व्यवसायों को त्वरित और ठोस कदम उठाने होंगे। जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध रूप से खत्म करना, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना, और वायु गुणवत्ता की निगरानी में सुधार करना भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए जरूरी हैं।
Source- dainik jagran