भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित तीस्ता नदी, एक प्रमुख जल स्रोत है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है। लेकिन हाल के वर्षों में, यह नदी उग्र रूप धारण कर रही है, जिससे व्यापक प्राकृतिक आपदाएँ हो रही हैं।स्फेयर इंडिया के प्रिलिमिनरि पिच्छले साल अक्टूबर मे तिस्ता के विकराल रूप के कारण 88,400 लोग प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए ।
तीस्ता नदी सिक्किम और पश्चिम बंगाल के माध्यम से बहती है और बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र नदी से मिलती है। यह नदी हिमालय से निकलती है और अपने पूरे मार्ग में महत्वपूर्ण पर्यावरणीय और आर्थिक भूमिका निभाती है। इस नदी का जल कृषि, पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है। तिस्ता नदी का पुरा ड्रेनेज एरीया 12,540 कीमी प्रति वर्ग का है । जिसका 83% भाग भारत और 17 % भाग बांग्लादेश मे जाता है । तिस्ता नदी सिक्किम की सबसे बड़ी नदी होते हुये भी इस्को सिक्किम का शोक के नाम से जाना जाता है जिसका मुख्य कारण है तिस्ता का बाढ़ लाने वाली प्रवृति ।
उग्र रूप धारण करने के कारण
1. जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियरों के पिघलने की गति बढ़ रही है, जिससे नदी में जल स्तर बढ़ जाता है। अत्यधिक बारिश और बाढ़ की घटनाएं भी बढ़ गई हैं, जो नदी के उग्र रूप धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
2. मानव गतिविधियाँ
अवैध खनन, वन कटाई और बेतहाशा निर्माण गतिविधियाँ भी तीस्ता नदी के उग्र रूप धारण करने के प्रमुख कारण हैं। इन गतिविधियों से नदी के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा आती है और बाढ़ की घटनाएं बढ़ जाती हैं।
3. डैम और बांध
तीस्ता नदी पर बने कई डैम और बांध भी इसके उग्र रूप धारण करने के कारण हैं। इन संरचनाओं से नदी के प्रवाह में अनियमितता आती है और बाढ़ की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
4 ब्रेडेड नेचर
तीस्ता नदी की इस प्रकृति , जहां नदी कई धाराओं में विभाजित हो जाती है, सिक्किम में बाढ़ का प्रमुख कारण है। नदी की बदलती धारा संरचना और अनियमित प्रवाह के कारण जल स्तर अचानक बढ़ जाता है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में व्यापक बाढ़ और विनाश होता है। यह अनियमित प्रवाह न केवल कृषि भूमि को नष्ट करता है बल्कि स्थानीय आबादी को भी भारी नुकसान पहुंचाता है। तीस्ता की ब्रेडेड प्रकृति के कारण बाढ़ का जोखिम और बढ़ जाता है, जिससे सिक्किम में लगातार आपदाएं होती हैं।
उग्र रूप के प्रभाव
1. बाढ़
तीस्ता नदी के उग्र रूप धारण करने से सबसे बड़ा प्रभाव बाढ़ के रूप में देखा गया है। बाढ़ से हजारों लोग बेघर हो जाते हैं और कृषि भूमि बर्बाद हो जाती है। इससे आर्थिक नुकसान भी होता है।
2. पर्यावरणीय प्रभाव
नदी के उग्र रूप धारण करने से पर्यावरणीय असंतुलन उत्पन्न होता है। वन्य जीवों का निवास स्थान नष्ट हो जाता है और जल संसाधनों की गुणवत्ता में गिरावट आती है।
3. सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
बाढ़ और अन्य आपदाओं से स्थानीय लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती हैं और उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। इसके अलावा, जल जनित बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
समाधान और उपाय
1. जलवायु परिवर्तन से निपटना
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करना आवश्यक है। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समन्वित प्रयासों के साथ – साथ व्यतिगत तौर पे एकजुटता की आवश्यकता है।
2. अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण
अवैध खनन और वन कटाई पर सख्त नियंत्रण की आवश्यकता है क्योकि इसके वजह से नदी के बहाव का संतुलन खराब होता है। इसके लिए सख्त कानूनों और उनके प्रभावी अनुपालन की आवश्यकता है ताकि इसे रोका जा सके ।
3. संरचनात्मक सुधार
डैम और बांधों की संरचनात्मक स्थिति में सुधार करना और उनके प्रबंधन में पारदर्शिता लाना आवश्यक है। इससे बाढ़ की घटनाओं को कम किया जा सकता है। तीस्ता नदी का उग्र रूप धारण करना एक गंभीर समस्या है जो मानव और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक है। इसे नियंत्रित करने के लिए ठोस और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन, अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण और संरचनात्मक सुधार के माध्यम से हम इस समस्या से निपट सकते हैं और तीस्ता नदी को एक बार फिर से शांत और उपयोगी बना सकते हैं।
तीस्ता नदी का उग्र रूप सिक्किम और आसपास के क्षेत्रों में एक गंभीर समस्या बन चुका है। जलवायु परिवर्तन, अवैध खनन, वन कटाई और डैम जैसी मानव गतिविधियों ने नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित कर दिया है, जिससे बाढ़ और पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ रहा है। ब्रेडेड प्रकृति और अनियमित प्रवाह से जल स्तर अचानक बढ़ जाता है, जिससे व्यापक तबाही होती है। इन समस्याओं से निपटने के लिए प्रभावी जल प्रबंधन, अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण, और संरचनात्मक सुधार आवश्यक हैं। इन उपायों से ही तीस्ता नदी पर काबू पाया जा सकता है।
मनाली उपाध्याय
Prakritiwad.com