तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में तीन नई रामसर साइट शामिल

saurabh pandey
3 Min Read

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत ने एक और महत्वपूर्ण पर्यावरणीय उपलब्धि हासिल की है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने घोषणा की है कि तमिलनाडु के नंजरायण पक्षी अभयारण्य और काझुवेली पक्षी अभयारण्य, साथ ही मध्य प्रदेश के तवा जलाशय को भारत की रामसर साइटों की सूची में शामिल कर लिया गया है। इन नए जोड़ने के साथ, देश की रामसर साइटों की कुल संख्या 85 हो गई है, जो कुल 13,58,068 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करती हैं।

रामसर साइटों का महत्व:

रामसर साइटों की अवधारणा अंतरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करती है। 1971 में इरान के रामसर शहर में आयोजित एक सम्मेलन में स्थापित, रामसर कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो आर्द्रभूमि के संरक्षण और स्थायित्व को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है। इसका उद्देश्य दुनिया भर की आर्द्रभूमियों की पारिस्थितिकीय, आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व को मान्यता देना और उन्हें संरक्षित करना है। रामसर साइटें विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि वे जलवायु संतुलन, जल आपूर्ति, और जैव विविधता के लिए अनिवार्य हैं।

नंजरायण पक्षी अभयारण्य: यह तमिलनाडु के उत्तर पूर्वी हिस्से में स्थित है और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास है। इस क्षेत्र में कई प्रवासी पक्षियों की प्रजातियाँ भी आती हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण जैव विविधता हॉटस्पॉट बनाती हैं।

काझुवेली पक्षी अभयारण्य: यह तमिलनाडु का एक अन्य महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि है जो प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण निवास स्थल प्रदान करता है। यह स्थल पक्षियों की निगरानी और संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, और इस क्षेत्र में कई दुर्लभ प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

तवा जलाशय: मध्य प्रदेश में स्थित यह जलाशय न केवल स्थानीय वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्रीय जलवायु और आर्द्रभूमि की पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी योगदान करता है। यह जलाशय ग्रामीण समुदायों के लिए भी महत्वपूर्ण जल स्रोत प्रदान करता है और बायोडायवर्सिटी को समर्थन करता है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस अवसर पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने, हमारी आर्द्रभूमि को अमृत धरोहर मानने और उनके संरक्षण के लिए किए गए निरंतर प्रयासों का परिणाम है। यह भारत के आर्द्रभूमि संरक्षण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।”

सरकार के प्रयासों के कारण पिछले दशक में रामसर स्थलों की संख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। यह वृद्धि पर्यावरणीय स्थिरता, जैव विविधता संरक्षण, और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भविष्य में, भारत को उम्मीद है कि इस दिशा में और भी सकारात्मक विकास होगा, जो विश्व स्तर पर पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगा और देश के पारिस्थितिकीय संसाधनों को बचाएगा।

Source – अमर उजाला

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *