बढ़ती गर्मी का युवाओं पर गहरा असर, जोखिम क्षेत्र तीन गुना बढ़ सकता है

saurabh pandey
5 Min Read

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अब तक बुजुर्गों पर अधिक माना जाता था, लेकिन नए शोध बताते हैं कि बढ़ती गर्मी युवाओं के लिए भी उतनी ही घातक हो सकती है। हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 35 वर्ष से कम आयु के लोगों के लिए अत्यधिक गर्मी से मृत्यु का खतरा 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की तुलना में कहीं अधिक हो सकता है। शोध के अनुसार, यदि वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है, तो यह प्रभाव भयावह हो सकता है और जोखिम क्षेत्र तीन गुना तक बढ़ सकता है।

युवाओं के लिए बढ़ते जोखिम

विशेषज्ञों का कहना है कि युवा आबादी, विशेष रूप से वे जो शारीरिक श्रम या बाहरी गतिविधियों में संलग्न रहते हैं, अत्यधिक गर्मी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। गर्मी के दौरान युवाओं का शरीर अत्यधिक तापमान को सहन नहीं कर पाता और इसके कारण हीटस्ट्रोक जैसी घातक स्थितियाँ पैदा हो सकती हैं। इस शोध को प्रतिष्ठित जर्नल ‘नेचर रिव्यू अर्थ एंड एनवायरनमेंट’ में प्रकाशित किया गया है।

दक्षिण एशिया सबसे ज्यादा प्रभावित

शोध में पाया गया है कि दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश, अत्यधिक गर्मी से सबसे अधिक प्रभावित होंगे। भारत में बढ़ता तापमान और उच्च आर्द्रता युवाओं के लिए खतरा बन सकता है, क्योंकि इन देशों में बड़ी संख्या में लोग खुले में काम करते हैं। किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं के अनुसार, उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में बुजुर्गों के लिए खतरा 35 प्रतिशत तक बढ़ सकता है, जबकि युवा लोगों के लिए यह खतरा इससे भी अधिक हो सकता है।

गर्मी से बढ़ता मृत्यु दर का खतरा

पर्यावरण भूगोल विशेषज्ञ टॉम मैथ्यूज के अनुसार, यदि तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता है, तो इसका परिणाम घातक हो सकता है। उन्होंने कहा, “हमने पाया कि बढ़ता तापमान युवाओं के शरीर की सहनशीलता को कम कर सकता है, जिससे हीटस्ट्रोक और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।”

युवाओं पर गर्मी का अधिक प्रभाव क्यों?

शोधकर्ताओं ने युवाओं पर गर्मी के अधिक प्रभाव के पीछे दो प्रमुख कारण बताए हैं:

बाहरी कार्य की अधिकता: युवा लोग अधिकतर खुले में काम करते हैं, जिससे वे सीधे धूप और गर्मी की चपेट में आते हैं।

जोखिम भरी गतिविधियाँ: युवा अक्सर अपनी शारीरिक सीमाओं को समझ नहीं पाते और गर्मी की लहरों के दौरान भी जोखिम भरी गतिविधियों में संलग्न रहते हैं।

भविष्य की भयावह स्थिति

शोध में चेतावनी दी गई है कि यदि तापमान 4 से 5 डिग्री सेल्सियस बढ़ता है, तो दुनिया की 60 प्रतिशत भूमि सतह पर रहने वाले लोग अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आ सकते हैं। इस स्थिति में, हीटस्ट्रोक और अन्य गर्मी से संबंधित बीमारियों की घटनाएँ कई गुना बढ़ सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तापमान और आर्द्रता का स्तर इसी गति से बढ़ता रहा, तो यह मानव स्वास्थ्य और अस्तित्व के लिए गंभीर संकट पैदा कर सकता है।

कैसे बचा जा सकता है?

विशेषज्ञों के अनुसार, गर्मी से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय कारगर हो सकते हैं:

पर्याप्त जल सेवन: शरीर को हाइड्रेटेड रखना बेहद जरूरी है।

सीमित बाहरी गतिविधियाँ: खासतौर पर दोपहर के समय खुले में काम करने से बचना चाहिए।

छायादार स्थानों का उपयोग: घर के अंदर या छायादार जगहों पर रहना चाहिए।

सरकारी नीतियाँ: सरकारों को तापमान बढ़ने के प्रभाव को कम करने के लिए बेहतर नीतियाँ लागू करनी चाहिए, जैसे हरे-भरे क्षेत्रों को बढ़ावा देना और शहरी क्षेत्रों में शीतलन सुविधाओं का विस्तार करना।

गर्मी अब केवल बुजुर्गों के लिए ही नहीं, बल्कि युवाओं के लिए भी गंभीर खतरा बन रही है। यदि जलवायु परिवर्तन की गति को नियंत्रित नहीं किया गया, तो इसका प्रभाव दुनिया के लाखों लोगों पर पड़ेगा। ऐसे में व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर सतर्कता बरतना आवश्यक है, ताकि इस बढ़ते संकट से बचा जा सके।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *