पराली जलाने की समस्या देशव्यापी संकट बनती जा रही है

saurabh pandey
4 Min Read

पराली जलाने की समस्या, जो पहले सिर्फ पंजाब और हरियाणा तक सीमित थी, अब देश के अन्य राज्यों में भी गंभीर रूप से फैलने लगी है। बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी इस समस्या ने दस्तक देना शुरू कर दिया है। हालांकि, इन राज्यों में अभी पराली जलाने की घटनाओं की औपचारिक रिपोर्टिंग शुरू नहीं हुई है, लेकिन अधिकारियों और विशेषज्ञों के बीच इसे लेकर बढ़ती चिंता साफ दिखाई दे रही है।

हाल ही में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आयोजित एक बैठक में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर चर्चा के दौरान यह चिंता सामने आई। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि इन राज्यों में पराली जलाने की समस्या की निगरानी की जानी चाहिए और इसे गंभीरता से लेना आवश्यक है, ताकि इस बढ़ते खतरे को समय रहते नियंत्रित किया जा सके।

निगरानी और रिपोर्टिंग का अभाव

पंजाब और हरियाणा की तरह अन्य राज्यों में अभी तक पराली जलाने के मामलों की औपचारिक निगरानी शुरू नहीं हुई है। न तो इसके लिए कोई जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है और न ही घटना रिपोर्टिंग की जा रही है। यह स्थिति गंभीर होती जा रही है, खासकर तब जब खेती में मशीनों के बढ़ते उपयोग और मजदूरों की कमी के कारण धान और गेहूं की पराली को नष्ट करने का सबसे सस्ता तरीका इसे जलाना माना जा रहा है। इससे न केवल किसानों की समस्याएं बढ़ रही हैं, बल्कि पर्यावरण भी प्रभावित हो रहा है।

पंजाब में जुर्माने और कार्रवाइयों का सिलसिला

पंजाब में 15 सितंबर से धान की कटाई के साथ ही पराली जलाने की घटनाएं शुरू हो चुकी हैं। अब तक 193 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 65 मामलों में 1.85 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है और छह एफआईआर दर्ज की गई हैं। राज्य सरकार ने इन घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए हैं, लेकिन फिर भी किसान पराली जलाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। मशीनों द्वारा फसल की ऊंचाई से कटाई के बाद इसे जलाने का ही विकल्प बचता है।

समस्या का समाधान और भविष्य की दिशा

यह स्पष्ट है कि अगर पराली जलाने की समस्या पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो यह समस्या अन्य राज्यों में भी तेजी से फैलेगी। इसके लिए न केवल जागरूकता अभियान शुरू करने की जरूरत है, बल्कि निगरानी व्यवस्था को भी मजबूत करना होगा। किसानों के लिए वैकल्पिक समाधान जैसे पराली प्रबंधन तकनीक और मशीनों के उपयोग को बढ़ावा देना आवश्यक है, ताकि इस समस्या को स्थायी रूप से नियंत्रित किया जा सके।

पराली जलाने की समस्या अब केवल पंजाब और हरियाणा तक सीमित नहीं रही, बल्कि दूसरे राज्यों में भी यह तेजी से फैल रही है। इसके समाधान के लिए जागरूकता, तकनीकी सहायता और सरकारी कदमों की जरूरत है, ताकि यह संकट देशव्यापी आपदा न बने।पराली जलाने की समस्या अब पंजाब और हरियाणा से आगे बढ़कर बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और बंगाल जैसे राज्यों में भी गंभीर चिंता का विषय बन रही है। इसके समाधान के लिए तत्काल जागरूकता, निगरानी और रिपोर्टिंग की जरूरत है।

इसके अलावा, किसानों को पराली प्रबंधन के लिए वैकल्पिक साधन और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना आवश्यक है। यदि इस दिशा में समय पर कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और भी बड़े पर्यावरणीय संकट का रूप ले सकती है, जिससे हवा की गुणवत्ता और जन स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *