केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को अपनी रिपोर्ट में बताया है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण बायोमास और जीवाश्म ईंधन का अधूरा दहन है। जीवाश्म ईंधन, जिसमें वाहनों में उपयोग किया जाने वाला ईंधन भी शामिल है, और बायोमास का अधूरा जलना राजधानी में वायु प्रदूषण को बढ़ावा दे रहा है। यह रिपोर्ट एनजीटी के निर्देश पर सीपीसीबी द्वारा प्रस्तुत की गई।
प्रमुख कारण: अधूरा दहन और पुराने वाहन
रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के पीछे मुख्य कारण बायोमास और विभिन्न ईंधनों का अधूरा जलना है। इसमें पुराने और खराब रखरखाव वाले वाहनों से होने वाला उत्सर्जन, कोयले का उपयोग और औद्योगिक प्रदूषण प्रमुख कारणों में शामिल हैं। सीपीसीबी ने बताया कि एनसीआर के औद्योगिक इकाइयों के कैप्टिव पावर प्लांट में कोयले के साथ 5-10 प्रतिशत बायोमास के सह-प्रज्वलन की अनुमति दी गई है। इसके अलावा, थर्मल पावर प्लांटों में कोयले के उपयोग पर भी सख्त निर्देश दिए गए हैं।
पराली जलाने पर नियंत्रण
सीपीसीबी ने बताया कि पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सब्सिडी योजना लागू की है, जिसके तहत किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी उपलब्ध कराई जा रही है।
वाहनों से होने वाला प्रदूषण
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए बीएस-6 मानकों वाले इंजनों को लागू किया गया है, जिससे ईंधन दहन और इंजन दक्षता में सुधार हुआ है। एनसीआर में 3,256 पेट्रोल पंपों पर वाष्प रिकवरी सिस्टम (वीआरएस) की स्थापना की गई है, जो वाष्पों के उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
वायु प्रदूषण का सबसे गंभीर असर स्वास्थ्य पर पड़ता है। पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), विशेष रूप से पीएम 2.5, का संपर्क मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। दिल्ली में पीएम 2.5 का प्रमुख स्रोत आवासीय हीटिंग और अधजले वाष्पों का ऑक्सीकरण है। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि वाहनों से उत्पन्न अमोनियम क्लोराइड भी वायु प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण कारण है।
दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण बायोमास और जीवाश्म ईंधन का अधूरा दहन है। हालांकि, सरकार और विभिन्न एजेंसियां इसे कम करने के लिए कदम उठा रही हैं, लेकिन प्रदूषण पर काबू पाने के लिए और अधिक ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। बेहतर ईंधन तकनीक और प्रदूषण नियंत्रण उपायों के साथ-साथ पराली जलाने और औद्योगिक उत्सर्जन पर सख्त नियंत्रण जरूरी है, ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके और जनता के स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक प्रभाव को रोका जा सके।
दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण बायोमास और जीवाश्म ईंधन का अधूरा दहन है, जो गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रहा है। हालांकि, सरकार और संबंधित एजेंसियां प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम उठा रही हैं, जैसे कि बीएस-6 मानकों वाले वाहन, वाष्प रिकवरी सिस्टम, और बायोमास सह-प्रज्वलन। पराली जलाने और औद्योगिक उत्सर्जन पर सख्त नियंत्रण भी जरूरी है। प्रदूषण को कम करने के लिए ठोस और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है, ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके और लोगों के स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके।