राजधानी दिल्ली समेत देश के विभिन्न राज्यों में इस महीने अत्यधिक बारिश ने बाढ़ और तूफान जैसे गंभीर हालात उत्पन्न कर दिए हैं, जो प्रकृति के चक्र में आ रहे बदलावों को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। मौसम विभाग ने अगले दो से तीन दिनों के लिए उत्तर भारतीय राज्यों में भारी बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है। इसके साथ ही बिहार के तेरह जिलों के लिए भी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। आंकड़े बताते हैं कि अगस्त में दिल्ली में हुई बारिश पिछले बारह वर्षों की तुलना में सबसे अधिक रही है, जो इस क्षेत्र में मौसम परिवर्तन की गंभीरता को दर्शाता है।
राजस्थान और गुजरात में भी भारी बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। मौसम विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र ने पश्चिम की ओर बढ़ते हुए गुजरात तक पहुंचने की प्रक्रिया पूरी कर ली है, जिससे सौराष्ट्र, कच्छ और अन्य इलाकों में भारी बारिश हो रही है। इस स्थिति के बीच, गुजरात में चक्रवाती तूफान की आशंका और भी भयावह हो गई है। उल्लेखनीय है कि पिछले अस्सी साल में अरब सागर में अगस्त में केवल एक चक्रवात बना है, लेकिन इस बार तीन चक्रवात आ चुके हैं, जो एक महत्वपूर्ण संकेत है कि मौसम के पैटर्न में बड़े बदलाव आ रहे हैं।
इन आपदा जैसे हालातों से निपटने के लिए आत्ममंथन आवश्यक हो गया है। जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों के बारे में दुनियाभर के वैज्ञानिक लंबे समय से चेतावनियाँ दे रहे हैं, जिन्हें अक्सर नजरअंदाज किया गया है। औद्योगीकरण, जंगलों की अंधाधुंध कटाई और वायुमंडल में बढ़ते कार्बन उत्सर्जन ने प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ दिया है, जिसका परिणाम अब सामने आ रहा है। जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को भविष्य की समस्या मानकर टालने की प्रवृत्ति अब महंगी साबित हो रही है।
इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक हो गया है कि हम जलवायु परिवर्तन को एक तत्काल समस्या मानें और विकास नीतियों पर पुनर्विचार करें। हमें वर्तमान समय की गंभीरता को समझते हुए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भावी पीढ़ियों के लिए एक संतुलित और स्थिर पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सके।
देश भर में हो रही अत्यधिक बारिश और उसके परिणामस्वरूप उत्पन्न बाढ़ और तूफान के हालात न केवल तत्काल राहत की जरूरत को दर्शाते हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति एक गंभीर चेतावनी भी देते हैं। दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और बिहार में अत्यधिक बारिश ने जीवन की सामान्य धारा को अस्त-व्यस्त कर दिया है और प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती频频ता को उजागर किया है। मौसम विभाग की चेतावनियों और हाल की घटनाओं से स्पष्ट होता है कि जलवायु परिवर्तन अब कोई दूर की बात नहीं है, बल्कि यह एक वास्तविक और तत्काल समस्या है।
जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बढ़ रहे हैं, यह आवश्यक हो गया है कि हम न केवल आपातकालीन प्रबंधन के उपाय करें, बल्कि दीर्घकालिक समाधान भी विकसित करें। इसके लिए औद्योगीकरण, वन कटाई और कार्बन उत्सर्जन में कटौती जैसी गतिविधियों पर नियंत्रण जरूरी है। अब समय आ गया है कि हम जलवायु परिवर्तन को एक गंभीर चुनौती के रूप में स्वीकार करें और विकास नीतियों को उसके अनुरूप ढालें। इससे न केवल वर्तमान समस्याओं का समाधान संभव होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थिर और सुरक्षित पर्यावरण का निर्माण भी किया जा सकेगा।
Source- अमर उजाला