भारत में फेफड़ों की बीमारियों का बोझ तेजी से बढ़ रहा है और यह हाल के शोध अनुमानों से कहीं अधिक गंभीर हो सकता है। हाल ही में लैंसेट द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में, देश में फेफड़ों की बीमारियों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई गई है। इस अध्ययन के अनुसार, उच्च स्तर का वायु प्रदूषण और तंबाकू सेवन इस समस्या के प्रमुख कारण हैं।
लैंसेट में मई में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्केमिक हृदय रोग दुनिया भर में मृत्यु का प्रमुख कारण बने रहेंगे। इसके बाद स्ट्रोक, मधुमेह, और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) का स्थान है। महामारी विज्ञानी डॉ. लैंसलॉट पिंटो के अनुसार, वायु प्रदूषण और तंबाकू सेवन में वृद्धि के कारण सीओपीडी की मृत्यु दर में वृद्धि हो सकती है और यह मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से एक बन सकती है।
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉ. अतुल माथुर ने चेतावनी दी है कि खराब जीवनशैली और वायु प्रदूषण के चलते सीओपीडी जैसी बीमारियां घातक बन सकती हैं। भारत में फेफड़ों की बीमारियों के बोझ को लेकर डॉक्टरों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि वायु प्रदूषण, धूम्रपान, और संक्रामक रोगों की चुनौतियां बढ़ रही हैं।
मेदांता अस्पताल के डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि सीओपीडी का पता अक्सर बहुत देर से चलता है, क्योंकि फेफड़ों के कैंसर और तपेदिक जैसी संक्रामक बीमारियों का बोझ पहले से ही अधिक है। धूम्रपान से संबंधित बीमारियों की वृद्धि को देखते हुए, भारत में फेफड़ों की बीमारियों की स्थिति गंभीर होती जा रही है।
डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने सरकार से अपील की है कि वे इस समस्या की गंभीरता को समझें और वायु प्रदूषण और तंबाकू सेवन को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाएं।
मुख्य बिंदु:
- भारत में फेफड़ों की बीमारियों की बढ़ती संख्या।
- वायु प्रदूषण और तंबाकू सेवन का प्रमुख योगदान।
- लैंसेट के अध्ययन में फेफड़ों की बीमारियों पर चिंता।
- सीओपीडी मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से एक बन सकता है।
- डॉक्टरों की अपील: वायु प्रदूषण और तंबाकू सेवन पर नियंत्रण आवश्यक।
भारत में फेफड़ों की बीमारियों का बोझ लगातार बढ़ रहा है, और यह मौजूदा अनुमानों से कहीं अधिक गंभीर हो सकता है। वायु प्रदूषण और तंबाकू सेवन इस समस्या को और जटिल बना रहे हैं, जिससे सीओपीडी जैसी बीमारियों की मृत्यु दर में वृद्धि हो रही है। लैंसेट द्वारा प्रकाशित हालिया अध्ययन ने इस मुद्दे की गंभीरता को उजागर किया है और वायु प्रदूषण के प्रभाव को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
फेफड़ों की बीमारियों की बढ़ती दर को रोकने के लिए, सभी स्तरों पर ठोस और प्रभावी उपायों की जरूरत है। सरकार, स्वास्थ्य एजेंसियों और समाज को मिलकर वायु गुणवत्ता में सुधार, तंबाकू सेवन में कमी, और समय पर चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इस दिशा में उठाए गए कदमों से ही हम फेफड़ों की बीमारियों के बोझ को कम कर सकते हैं और जनता के स्वास्थ्य में सुधार ला सकते हैं।
Source and data – अमर उजाला