तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर, नमामि गंगे के घाट मई में ही डूबे

prakritiwad.com
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अलकनंदा, मंदाकिनी नदी का बहाव हुआ तेज, सड़कों पर निकलना मुश्किल

बढ़ते गर्मी के तापमान के कारण उत्तराखंड क्षेत्र में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, विशेष रूप से अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों पर इसका प्रभाव पड़ रहा है। जल प्रवाह में वृद्धि के कारण रुद्रप्रयाग में नमामि गंगे घाटों में भारी बाढ़ आ गई है, जिससे यात्रियों और स्थानीय लोगों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

तेज जल प्रवाह ने नमामि गंगे परियोजना के तहत बने सभी घाटों को जलमग्न कर दिया है। असामान्य जल प्रवाह, जो आमतौर पर मानसून के दौरान देखा जाता है, अब गर्मियों में भी देखा जा रहा है, जो जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों को दर्शाता है। बाढ़ की तत्काल चिंताओं के अलावा, तेजी से पिघलते ग्लेशियर अन्य प्राकृतिक स्रोतों में जल स्तर में कमी का भी कारण बन रहे हैं।

मंगलवार को रुद्रप्रयाग में तापमान 38 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो एक चिंताजनक वृद्धि है। यह हीटवेव ऊंचे स्थानों तक भी फैली हुई है, जैसे कि केदारनाथ और गौरीकुंड, जहां असामान्य रूप से गर्मी हो रही है, जिससे स्थानीय लोगों और पर्यटकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. विश्वंभर प्रसाद के अनुसार, यह वार्मिंग प्रवृत्ति क्षेत्र के पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

स्थानीय अधिकारी और जलवायु विशेषज्ञ इस तेजी से पिघलते ग्लेशियरों के दीर्घकालिक प्रभावों को लेकर चेतावनी दे रहे हैं, विशेष रूप से क्षेत्र में जल की कमी के बारे में। इन पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने और स्थानीय आबादी और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए तत्काल उपाय और दीर्घकालिक रणनीतियों की आवश्यकता है।

रुद्रप्रयाग। आग उगलते सूरज की गर्मी से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे नदियों का जलस्तर भी बढ़ने लगा है। अलकनंदा और मंदाकिनी नदी का जलस्तर बढ़ने से रुद्रप्रयाग में नमामि गंगे परियोजना के तहत बने सभी घाट जलमग्न हो गए हैं। तेज बहाव से वह स्थिति दोनों नदियों का जलस्तर मई में ही बरसात के मौसम जैसा हो गया है। गर्मियों की कड़ाके की धूप के चलते, गंगोत्री और केदारनाथ से अन्य स्थानों पर प्राकृतिक जलस्रोतों का पानी तेजी से कम हो रहा है।

बृहस्पतिवार को मुख्यालय में तापमान भी 38 डिग्री दर्ज किया गया। मई में इतनी तेज गर्मी के कारण घाटी क्षेत्र ही नहीं, ऊंचे पहाड़ी गांव के लोग भी परेशान हैं। केदारनाथ के गुप्तकाशी, उखीमठ, फाटा, गौरीकुंड और गंगोत्री में भी सुबह से चटक तेज धूप से आमजन और यात्री परेशान रहे हैं। गुरुवार के बनायुग वचन मिशन के ज्ञात पंवार बताते हैं कि पहली बार गर्मी का असर पहाड़ी क्षेत्रों में सूरज की तपन असहनीय हो रही है। वहीं जमलोक्की और गंगोत्री के ऊपरी क्षेत्रों में सूरज की तपन असहनीय हो रही है।

कामीगान से आर्द्रता घटी

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के उच्च शिख्सीय परामर्श केंद्र संस्थान के निदेशक डॉ. विश्वंभर प्रसाद का कहना है कि इस वर्ष गर्मी अपने चरम पर है, जो कि प्राकृतिक और पर्यावरण के लिए शुभ नहीं है। उन्होंने बताया कि शीतकाल में पर्याप्त बारिश व बर्फबारी नहीं होने और गर्मियों की घटनाएं बढ़ने से प्राकृतिक जलस्रोत सूख रहे हैं। इस बार गर्मी का प्रभाव बहुत अधिक है। पहाड़ी इलाकों में गर्मी बढ़ने से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जो शुभ नहीं है।

उत्तराखंड के कहना है कि पर्यटन और तीर्थाटन के नाम पर पहाड़ों में जो मानव जमाव लगा रहा है वह गर्मी बढ़ने का प्रमुख कारण है। बेतालुकेहोटल, रेस्तरां, लॉज के निर्माण से पहाड़ की ठंडक खत्म हो रही है।

केदारनाथ में तेज धूप से बेहाल यात्री

11,750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ में भी इस बार मौसम का मिजाज बदला हुआ है। यहां सुबह 9 बजे के बाद धूप की तपन तेज हो रही है। दोपहर तक तापमान 15 से 18 डिग्री तक पहुंच रहा है। गढ़वाल मंडल विकास निगम के कर्मचारी गोपाल सिंह राणा ने बताया कि यात्रियों के लिए केदारनाथ में धूप की तपन मैदानी क्षेत्रों से ज्यादा महसूस हो रही है। केदारनाथ पुनर्निर्माण से जुड़े संविदाकार केटरू सावन ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार केदारनाथ में मौसम काफी बदला हुआ है। बारिश नाममात्र हो रही है और रात को भी ठंड का असर ज्यादा नहीं है।

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