सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने से उत्पन्न हो रहे वायु प्रदूषण को लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की निष्क्रियता पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान, अदालत ने कहा कि आयोग के पास व्यापक शक्तियां होने के बावजूद उनके प्रभावी उपयोग का अभाव है। अदालत ने पूछा, “सब कुछ हवा में है,” और आयोग से यह दिखाने के लिए कहा कि उसने अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए कोई ठोस कार्रवाई की है या नहीं।
आयोग की ओर से उठाए गए कदमों पर सवाल
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने अदालत को बताया कि उसने पराली जलाने को नियंत्रित करने के लिए 82 आदेश जारी किए हैं और परामर्श भी दिए हैं, जिससे पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को और अधिक सक्रिय होने की आवश्यकता पर जोर दिया। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति अगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने स्पष्ट किया कि मात्र आदेश और परामर्श पर्याप्त नहीं हैं, आयोग को जमीनी स्तर पर प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना होगा।
कृषि उपकरणों की उपलब्धता और उपयोग पर जोर
सुनवाई में सहयोग कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कोर्ट का ध्यान इस ओर खींचा कि किसानों को पराली हटाने के लिए जरूरी उपकरण केंद्र सरकार द्वारा मुहैया कराए गए हैं। अदालत ने आयोग को निर्देश दिया कि वह यह सुनिश्चित करे कि ये उपकरण किसानों तक पहुंचे और उनका उचित उपयोग हो रहा हो। इसके साथ ही, अदालत ने यह भी पूछा कि जब इन उपकरणों की जरूरत न हो, तो उनकी देखभाल और रखरखाव की क्या व्यवस्था है। कोर्ट ने एक व्यापक योजना की आवश्यकता पर बल दिया।
अधिकारियों से सीधे सवाल-जवाब
सुनवाई के दौरान आयोग के अध्यक्ष राजेश वर्मा से भी सीधे सवाल पूछे गए। कोर्ट ने उनसे पूछा कि उप-समितियों की बैठकें इतनी देरी से क्यों होती हैं, जबकि प्रदूषण का संकट सामने है। राजेश वर्मा ने बताया कि उप-समितियों का गठन हो चुका है और हर तीन महीने में उनकी बैठकें होती हैं। इस पर अदालत ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि जब हम संकट की कगार पर हैं, तो ऐसी बैठकें तीन महीने में क्यों आयोजित की जाती हैं?
आयोग से बेहतर हलफनामे की मांग
अदालत ने आयोग को निर्देश दिया कि वह बेहतर हलफनामा दाखिल कर विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करे कि अब तक कितनी कार्रवाई की गई है और क्या कदम उठाए गए हैं। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि जमीनी स्तर पर जो उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं, उनका उपयोग हो रहा है या नहीं।
आयोग की शक्तियों का उपयोग न होने पर नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने आयोग द्वारा जारी किए गए आदेशों और उनके क्रियान्वयन की कमी पर नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि यदि आयोग के पास पर्याप्त शक्तियां हैं, तो उनका प्रभावी उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा है। कोर्ट ने पूछा कि क्या कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई की गई है या नहीं। इसके अलावा, आयोग द्वारा गठित उप-समितियों के प्रभावी कार्यान्वयन पर भी सवाल उठाए गए।
आगे की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को निर्धारित की है और तब तक आयोग से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जो कदम उठाए गए हैं, उनका प्रभावी क्रियान्वयन हो रहा है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने से उत्पन्न हो रहे वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की निष्क्रियता पर कड़ी आपत्ति जताई है। अदालत ने आयोग को अपनी शक्तियों का प्रभावी उपयोग करने और ठोस कार्रवाई करने की सख्त हिदायत दी है। यह मामला यह साबित करता है कि सिर्फ आदेश और योजनाएँ बनाने से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि उनके सही क्रियान्वयन की आवश्यकता है। किसानों को सरकार द्वारा दिए गए संसाधनों का उपयोग सुनिश्चित करना और समस्या की जड़ तक पहुंचने वाली योजना बनाना बेहद जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से यह उम्मीद की जा रही है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए अधिक ठोस और व्यावहारिक कदम उठाए जाएंगे।