सुप्रीम कोर्ट ने पैकेज्ड फूड आइटम्स पर चीनी, नमक, और संतृप्त वसा जैसे तत्वों की मात्रा दर्शाने वाले चेतावनी लेबल लगाने के मुद्दे पर विचार करने का फैसला किया है। यह निर्णय उपभोक्ताओं को मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से बचाने के उद्देश्य से लिया गया है।
जनहित याचिका और कोर्ट की प्रतिक्रिया
‘3एस और आवर हेल्थ सोसायटी’ द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने चार सप्ताह में सरकार से इस मुद्दे पर जवाब मांगा है, और मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी।
चेतावनी लेबल का महत्व
याचिका में दावा किया गया है कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और अन्य जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते खतरे को देखते हुए पैकेज्ड फूड पर चेतावनी लेबल लगाना अनिवार्य किया जाना चाहिए। याचिका में यह भी कहा गया है कि ऐसे लेबल उपभोक्ताओं को उनके आहार के बारे में सूचित विकल्प बनाने में मदद करेंगे, जिससे अस्वास्थ्यकर उत्पादों के सेवन को कम किया जा सकेगा।
स्वास्थ्य और सुरक्षा पर बढ़ता दबाव
भारत में हर साल 60 लाख लोग मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों के कारण अपनी जान गंवाते हैं। याचिका में यह भी बताया गया है कि देश में हर चौथा व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित है, और जंक फूड के बढ़ते सेवन से समय से पहले मृत्यु का जोखिम बढ़ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो उपभोक्ताओं को स्वस्थ और सूचित विकल्प चुनने में मदद करेगा।
सुप्रीम कोर्ट का पैकेज्ड फूड पर चेतावनी लेबल लगाने के मुद्दे पर विचार करना स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे उपभोक्ताओं को मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और अन्य जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से बचाने में मदद मिलेगी। कोर्ट का यह निर्णय उपभोक्ताओं को सूचित विकल्प चुनने में सक्षम बनाएगा, जिससे अस्वास्थ्यकर उत्पादों के सेवन को कम किया जा सकेगा और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बढ़ते दबाव को भी कम किया जा सकेगा।
Source- दैनिक जागरण