हर साल की तरह इस साल भी पराली जलाने की घटनाएं शुरू होते ही इसका असर वायु प्रदूषण पर साफ दिखाई देने लगा है। दिल्ली और एनसीआर की हवा में तेजी से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, जिससे सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है। कोर्ट ने पराली जलाने की रोकथाम के लिए जिम्मेदार वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) और संबंधित राज्यों पर सख्त कार्रवाई न करने पर नाराजगी जाहिर की है।
कोर्ट की सख्ती
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं अब भी हो रही हैं, जबकि इन्हें रोकने के लिए कई प्रयास किए जाने चाहिए थे। कोर्ट ने गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि सिर्फ निर्देश देने से काम नहीं चलेगा, बल्कि उनके सख्ती से पालन करने की जरूरत है। कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की रिपोर्ट पर गहरा असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए अब तक ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
राज्यों को फटकार
कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा की सरकारों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्होंने किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की है। दोनों राज्यों में पराली जलाने की सैकड़ों घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन इसके बावजूद बहुत ही कम संख्या में किसानों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की गई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसानों को पराली नष्ट करने के लिए दी जा रही मशीनों का सही ढंग से उपयोग नहीं हो पा रहा है क्योंकि इन्हें चलाने के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी है।
केंद्र और आयोग को रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और सीएक्यूएम से इस मसले पर जल्द से जल्द स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 अक्टूबर की तारीख तय की है, जिसमें इस पराली जलाने के मुद्दे पर ठोस योजना पेश करने की मांग की गई है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में खाली पदों पर नाराजगी
इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के खाली पदों पर भी नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि जब तक ये पद भरे नहीं जाते, तब तक प्रदूषण से निपटने के लिए की जाने वाली योजनाएं प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाएंगी। कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि 25 अप्रैल 2025 तक इन पदों को अनिवार्य रूप से भरा जाए।
विशेष टास्क फोर्स की तैनाती
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कोर्ट को बताया कि पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए एक विशेष प्रवर्तन टास्क फोर्स का गठन किया गया है। इसके साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मदद से 40 उड़न दस्तों को तैनात किया गया है, जो पराली जलाने के मामलों की निगरानी कर रहे हैं।
पराली जलाना एक पुरानी समस्या है, जो हर साल सर्दियों के मौसम में दिल्ली-एनसीआर की हवा को जहरीला बना देती है। इसके समाधान के लिए सरकारों और प्रशासन को और अधिक ठोस और प्रभावी कदम उठाने होंगे ताकि प्रदूषण की समस्या से निजात मिल सके और लोगों को स्वच्छ हवा मिल सके।
पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण हर साल दिल्ली-एनसीआर में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बावजूद संबंधित राज्यों और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा अब तक प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। किसानों को पराली नष्ट करने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने, प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में खाली पदों को भरने और सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है। जब तक सरकारें और प्रशासन इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकालते, तब तक देश की राजधानी हर साल प्रदूषण के इस संकट से जूझती रहेगी। अब देखना होगा कि 16 अक्टूबर की अगली सुनवाई में केंद्र और राज्यों द्वारा किस तरह की ठोस कार्रवाई की योजना पेश की जाती है।