सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने और प्रदूषण पर सवाल उठाए

saurabh pandey
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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण और पराली जलाने की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। अदालत ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से सवाल किया है कि वह प्रदूषण की इस गंभीर समस्या से कैसे निपटेगा, खासकर जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में कर्मचारियों की कमी के कारण उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है।

सुप्रीम कोर्ट की चिंताएं

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में भारी संख्या में पद रिक्त हैं, जिसके कारण वे अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से निभा नहीं पा रहे हैं। कोर्ट ने सीएक्यूएम के अध्यक्ष को निर्देश दिया कि वे अगली सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होकर बताएं कि आयोग इस स्थिति से कैसे निपटेगा।

सीएक्यूएम की जिम्मेदारियां और रिक्त पद

कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि सीएक्यूएम द्वारा गठित सुरक्षा और कार्यान्वयन उप-समितियां रिक्त पदों के कारण कैसे प्रभावी रूप से काम कर पाएंगी। वर्तमान में, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं, जिससे इन बोर्डों की कार्यक्षमता पर असर पड़ा है।

सीएक्यूएम के अध्यक्ष को हलफनामा दायर करने का आदेश

सीएक्यूएम के अध्यक्ष को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया है, जिसमें वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण शामिल हो। कोर्ट ने यह भी निर्देशित किया है कि सभी एनसीआर राज्यों में रिक्त पदों को 30 अप्रैल, 2025 तक भरा जाए।

रिक्त पदों की स्थिति

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की खराब स्थिति की निंदा की और बताया कि कई राज्यों के बोर्डों में बड़े पैमाने पर पद रिक्त हैं। राजस्थान ने अपने बोर्ड में स्वीकृत 808 पदों में से 395 पद रिक्त होने की जानकारी दी है, जिनमें से 115 पद अगले दो महीने में भरे जाएंगे।

प्रदूषण और पराली जलाने की समस्या

सितंबर के महीने में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे वायु गुणवत्ता में और अधिक गिरावट आती है। सीएक्यूएम की जिम्मेदारी है कि वह इन घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी उपाय करे। इसके लिए स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और अन्य संबंधित एजेंसियों को सक्रिय रूप से काम करने की आवश्यकता है।

अगली सुनवाई की तारीख

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 2 सितंबर को निर्धारित की है। इस समय तक, सीएक्यूएम को अपनी तैयारियों और उठाए गए कदमों का विवरण देने की उम्मीद है, ताकि प्रदूषण और पराली जलाने की समस्या पर प्रभावी ढंग से नियंत्रण पाया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से की गई इस सुनवाई से यह स्पष्ट है कि प्रदूषण और पराली जलाने की समस्या को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। प्रभावी उपायों के बिना, वायु गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती। सीएक्यूएम और संबंधित एजेंसियों को इस दिशा में त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।

source- दैनिक जागरण

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