सुप्रीम कोर्ट का राज्यों को आदेश: प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में खाली पदों को जल्द से जल्द भरा जाए

saurabh pandey
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सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में खाली पदों को तत्काल भरने का निर्देश दिया है। 27 अगस्त, 2024 को दिए गए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने इन राज्यों से कहा है कि वे दो महीनों के भीतर सीधी भर्ती के जरिए इन पदों को भरें। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह इन पदों को भरने की समय सीमा को 30 अप्रैल, 2025 से आगे नहीं बढ़ाएगा।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से हलफनामा दाखिल करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष से एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है, जिसमें दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021 के तहत उठाए गए कदमों का जिक्र होना चाहिए। इस मामले की अगली समीक्षा दो सितंबर, 2024 को की जाएगी।

रिक्त पदों के कारण प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की निष्क्रियता

अदालत को बताया गया है कि इन पांच राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में कई पद खाली हैं, जिससे बोर्ड लगभग निष्क्रिय हो गए हैं। एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने अदालत का ध्यान 2021 अधिनियम के प्रावधानों और आने वाले समय में पराली जलाने और प्रदूषण के बढ़ते मुद्दों की ओर आकर्षित किया। अदालत ने कहा कि इन मुद्दों पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने होंगे कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपनी शक्तियों का प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकें।

सर्वोच्च न्यायालय की चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि वह किसी भी स्थिति में इन रिक्त पदों को भरने की समय सीमा को 30 अप्रैल, 2025 से आगे नहीं बढ़ाएगा। साथ ही, आयोग के अध्यक्ष को अगली सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थित होने और आयोग द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की योजना के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा को प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में खाली पदों को भरने के लिए कड़ी चेतावनी दी है, स्पष्ट करते हुए कि 30 अप्रैल, 2025 की समय सीमा को किसी भी परिस्थिति में नहीं बढ़ाया जाएगा। कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से भी स्पष्ट योजना की मांग की है, ताकि प्रदूषण की समस्या से निपटने में प्रभावी कदम उठाए जा सकें। इस सख्त रुख से संकेत मिलता है कि अदालत प्रदूषण नियंत्रण के मुद्दे पर किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगी और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करेगी।

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