नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के रिज इलाके में पेड़ों की अवैध कटाई के मुद्दे पर तीखी टिप्पणी करते हुए पूछा कि क्या उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना खुद को कोर्ट मानते हैं। शीर्ष अदालत ने इस मामले में एलजी की भूमिका की निंदा की। साथ ही दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को फटकार लगाते हुए कहा कि उसे पहले ही दिन बताया जाना चाहिए था कि एलजी ने पेड़ काटने के आदेश दिए हैं। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि याचिका यहां लंबित होने के बावजूद पेड़ों की कटाई की अनुमति देने में एलजी ने विवेक का प्रयोग नहीं किया। पीठ ने एलजी की भूमिका को छिपाने के प्रयास की भी निंदा की।
जस्टिस ओका ने कहा, “पहली तारीख पर हमें बताया जाना चाहिए था कि एलजी ने निर्देश दिए हैं।” एलजी की भूमिका कोर्ट ने कहा, एलजी ने माना कि दिल्ली सरकार के पास ‘ट्री ऑफिसर’ की शक्ति है अधिसूचना वापस नहीं ली तो अवमानना नोटिस बेंच ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील आदित्य सोंधी से कहा कि हम यहां डीडीए और दिल्ली सरकार के बीच लड़ाई तय करने नहीं बल्कि पर्यावरण बचाने आए हैं।
केस लंबित रहने के दौरान रिज एरिया में पेड़ों को काटने की अनुमति देना अवमानना है। “हम अवमानना नोटिस जारी करेंगे। अपने अधिकारी से दोबारा पूछें कि क्या वह सरकार द्वारा जारी इस अधिसूचना को वापस ले रहे हैं? अगर वह सहमत नहीं होते हैं तो हम तुरंत अवमानना नोटिस जारी करेंगे,” पीठ ने कहा।
एलजी से सवाल पूछे गए थे कि क्या डीडीए अधिकारियों ने उनसे कहा था कि पेड़ों को काटने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति जरूरी है। कोर्ट ने डीडीए से यह भी पूछा कि क्या उसने पेड़ों को काटने का फैसला एलजी की अनुमति के आधार पर किया था या कोई स्वतंत्र निर्णय भी लिया गया था। पीठ ने कहा कि जरूरत पड़ने पर हम एलजी को नोटिस जारी कर सकते हैं।
ठेकेदार को भी नोटिस: पीठ ने पेड़ काटने वाले ठेकेदार को भी नोटिस जारी कर 31 जुलाई तक यह बताने को कहा कि किसके निर्देश पर उसने यह कार्रवाई की। दिल्ली सरकार ने भी पेड़ों को काटने का दोष स्वीकार किया।
पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार को भी पेड़ों को काटने की अवैध अनुमति देने का दोष स्वीकार करना चाहिए। सरकार को कोर्ट को यह बताना चाहिए कि वह पेड़ों के लिए ट्री ऑफिसर बना चुकी है और उनकी निगरानी में पेड़ों की कटाई की जाती है।
सुप्रीम कोर्ट के मामले में वकील सोंधी ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और एलजी के तरफ से उपस्थित हुए थे। वकील सोंधी ने कहा कि वह आज अदालत से नोटिस प्राप्त हुए हैं। उन्होंने अदालत से अवमानना नोटिस की मांग की।
पहले बताना चाहिए था कि एलजी ने पेड़ काटने का आदेश दिया: सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली, पीटीआइ: सुप्रीम कोर्ट ने रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के मामले में उपराज्यपाल वीके सक्सेना की भूमिका को लगातार अधिकारियों द्वारा छिपाने पर नाराजगी जताई है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से पूछा कि क्या पेड़ों को काटने का फैसला उपराज्यपाल की मौखिक अनुमति के आधार पर लिया गया था या एजेंसी ने स्वतंत्र रूप से फैसला लिया था? जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि उपराज्यपाल ने पेड़ काटने की अनुमति देने में पूर्ण विवेक का प्रयोग नहीं किया।
पीठ ने कहा कि उसे सुनवाई के पहले ही दिन बताया जाना चाहिए था कि उपराज्यपाल ने पेड़ों को नष्ट करने का आदेश दिया था। कटाई के निर्देश दिए गए थे। शीर्ष अदालत ने सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए रिज क्षेत्र में 1,100 पेड़ काटने के लिए डीडीए उपाध्यक्ष के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज किया। रिज क्षेत्र में 1,100 पेड़ काटने पर शीर्ष अदालत की सुनवाई दिल्ली पुलिस को याचिकाकर्ता को परेशान न करने की चेतावनी दी गई। सुनवाई चल रही थी।
अदालत ने दिल्ली पुलिस को पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर डीडीए के खिलाफ याचिका दायर करने वाली बिंदु कपूरिया को परेशान न करने की चेतावनी दी। दिल्ली सरकार से पूछा- पेड़ों की अवैध कटाई की भरपाई कैसे करेगी: नई दिल्ली, एएनआई: दिल्ली सरकार से पूछा कि पेड़ों की अवैध कटाई की भरपाई कैसे करेगी। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार से यह भी पूछा कि पिछले पांच सालों में पेड़ों की कटाई के लिए कितनी ऐसी अवैध अनुमतियां दी गई हैं और उन अनुमतियों को रिकॉर्ड में दर्ज करें।
source and data – अमर उजाला और दैनिक जागरण समाचार पत्र