सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण के मुद्दे पर ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अपने सुनवाई के दायरे को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) से बाहर बढ़ाने का फैसला किया है। यह निर्णय प्रदूषण की गंभीरता और इसके देशव्यापी प्रभाव को देखते हुए लिया गया। जस्टिस अभय एस. ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार से देश के सबसे प्रदूषित शहरों की जानकारी मांगी है।
वायु प्रदूषण: एक राष्ट्रीय समस्या
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वायु प्रदूषण केवल एनसीआर का नहीं, बल्कि पूरे देश का संकट है। इस फैसले के तहत अदालत अब चरणबद्ध तरीके से देशभर के शहरों में प्रदूषण की स्थिति पर सुनवाई करेगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि केवल दिल्ली के प्रदूषण पर ही ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि कोर्ट दिल्ली में स्थित है।
कोर्ट की टिप्पणियां:
- पराली जलाने और औद्योगिक प्रदूषण की समस्या अब दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं है।
- अन्य राज्यों और शहरों में भी वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग जैसे तंत्र स्थापित करने की जरूरत है।
- केंद्र और राज्य सरकारों को ठोस और समन्वित प्रयास करने होंगे।
दिल्ली सरकार को फटकार
दिल्ली सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे में ठोस कचरा प्रबंधन के आंकड़ों की कमी पर कोर्ट ने नाराजगी जताई। हलफनामे में बुनियादी जानकारी न होने पर कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में पेश होने का निर्देश दिया। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि 11 नवंबर के आदेशों का पालन नहीं किया गया, तो अवमानना की कार्रवाई हो सकती है।
एनसीआर में ग्रैप 3 लागू: कड़े प्रतिबंध
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता बेहद खराब होने के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का तीसरा चरण लागू किया है। इसके तहत निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:
वाहनों पर प्रतिबंध:
- बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल वाहनों पर रोक।
- आवश्यक सेवाओं वाले वाहनों को छूट।
निर्माण कार्यों पर रोक:
- सभी निर्माण और तोड़फोड़ से संबंधित गतिविधियां बंद।
- स्टोन क्रशर और खनन पर भी प्रतिबंध।
शिक्षा पर प्रभाव:
- दिल्ली और एनसीआर के कई इलाकों में कक्षा 5 तक स्कूल बंद।
- कार्यालयों का समय बदला जाएगा:
- सरकारी कार्यालयों को हाइब्रिड मोड में चलाने के निर्देश।
वायु प्रदूषण की स्थिति
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली और एनसीआर के कई शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) “बहुत खराब” श्रेणी में है:
- दिल्ली: 379
- गाजियाबाद: 324
- नोएडा: 358
- गुरुग्राम: 323
वायु प्रदूषण के खिलाफ राष्ट्रीय लड़ाई
सुप्रीम कोर्ट के इस कदम से देशभर में वायु प्रदूषण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की उम्मीद बढ़ी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला प्रदूषण के दीर्घकालिक समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। सभी राज्यों और केंद्र सरकार के सामूहिक प्रयासों से ही इस समस्या का समाधान संभव है।
आगामी सुनवाई:
19 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट अन्य शहरों की स्थिति पर विचार करेगा और देशव्यापी समाधान के लिए रूपरेखा तैयार करेगा।
यह कदम केवल दिल्ली-एनसीआर नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए राहत की उम्मीद लेकर आया है। वायु प्रदूषण के खिलाफ यह राष्ट्रीय लड़ाई जनता और प्रशासन के सहयोग से ही जीती जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट का वायु प्रदूषण पर सुनवाई का दायरा बढ़ाने का फैसला एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी कदम है। यह दर्शाता है कि प्रदूषण केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय समस्या है, जिसे हल करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र सरकार के समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। अदालत का ध्यान न केवल दिल्ली-एनसीआर, बल्कि देश के अन्य शहरों की ओर भी केंद्रित होना यह सुनिश्चित करता है कि वायु प्रदूषण के मुद्दे पर व्यापक दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।
वर्तमान स्थिति में, सख्त नीतियों, स्थानीय प्रशासन की सक्रिय भागीदारी और जनता के सहयोग के बिना प्रदूषण पर नियंत्रण संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश न केवल वायु गुणवत्ता में सुधार लाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे, बल्कि एक सतत और पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित भविष्य की ओर भी कदम बढ़ाएंगे। अब यह जिम्मेदारी सरकार, नागरिक और औद्योगिक संस्थानों की है कि वे इस दिशा में ठोस और प्रभावी कदम उठाएं।