समुद्र तटों पर प्लास्टिक कचरे का खतरा: सुप्रीम कोर्ट की चिंता

saurabh pandey
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सुप्रीम कोर्ट ने समुद्र तटों और जलाशयों पर प्लास्टिक कचरे के डंपिंग को लेकर गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि प्लास्टिक का इस्तेमाल उन इलाकों में भी हो रहा है, जिन्हें प्रदूषणकारी उत्पादों से मुक्त रखा जाना चाहिए। प्लास्टिक कचरे के डंपिंग से पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है, जिससे नदियों और जलाशयों में जलीय जीवन प्रभावित हो रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पटना में गंगा के किनारे अतिक्रमण और अवैध निर्माण को हटाने की मांग वाली याचिका की सुनवाई के दौरान आई। पीठ ने कहा कि जब तक जिम्मेदार अधिकारियों और जनता के सहयोग से ठोस प्रयास नहीं किए जाएंगे, तब तक गंगा समेत सभी नदियों और जलाशयों के जल की गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार अधूरा रहेगा।

कोर्ट ने केंद्र, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और बिहार सरकार से याचिका में उठाए गए मुद्दों और नदी तटों और तालाबों पर प्लास्टिक कचरे के डंपिंग को लेकर जताई गई चिंताओं पर चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि प्लास्टिक कचरे का समाधान तत्काल ढूंढना आवश्यक है, ताकि पर्यावरण और जलीय जीवन को बचाया जा सके।

समुद्र तटों पर प्लास्टिक कचरे के डंपिंग से खतरा

समुद्र तटों पर प्लास्टिक कचरे का बढ़ता हुआ स्तर आज के समय में एक गंभीर पर्यावरणीय संकट बन चुका है। यह समस्या न केवल हमारे समुद्री जीवन को प्रभावित कर रही है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य और पर्यटन उद्योग पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।

प्लास्टिक कचरे के स्रोत

  • घरेलू कचरा: लोग अक्सर समुद्र तटों पर पिकनिक मनाने जाते हैं और वहां अपने द्वारा इस्तेमाल की गई प्लास्टिक वस्तुओं को फेंक देते हैं।
  • व्यावसायिक और औद्योगिक कचरा: बंदरगाह और औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाला प्लास्टिक कचरा भी समुद्र में पहुंच जाता है।
  • मत्स्य पालन उद्योग: मछली पकड़ने के जाल, बॉटल और अन्य प्लास्टिक उपकरण समुद्र में ही छोड़ दिए जाते हैं।

समुद्री जीवन पर प्रभाव

  • समुद्री जीवों की मौत: प्लास्टिक के टुकड़े खाने की वजह से समुद्री जीवों की मौत हो जाती है।
  • प्रजनन में बाधा: प्लास्टिक प्रदूषण समुद्री जीवों के प्रजनन चक्र को भी प्रभावित करता है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन: प्लास्टिक कचरे के कारण समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन उत्पन्न हो जाता है।

मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • खाद्य श्रृंखला में प्लास्टिक: समुद्री जीवों के माध्यम से प्लास्टिक हमारे खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर जाता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
  • जल प्रदूषण: प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण पानी को दूषित कर देते हैं, जिससे विभिन्न जल जनित रोग फैलते हैं।

पर्यटन उद्योग पर प्रभाव

  • पर्यटकों की कमी: गंदे और प्लास्टिक से भरे समुद्र तटों के कारण पर्यटकों की संख्या में कमी आ जाती है।
  • आर्थिक हानि: पर्यटन में कमी से स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

समाधान

  • जन जागरूकता: लोगों को प्लास्टिक प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है।
  • प्लास्टिक का पुनर्चक्रण: प्लास्टिक कचरे के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना चाहिए।
  • सख्त नियम और कानून: प्लास्टिक कचरे के निपटान के लिए सख्त नियम और कानून बनाए जाने चाहिए।
  • साफ-सफाई अभियान: समुद्र तटों पर नियमित रूप से साफ-सफाई अभियान चलाए जाने चाहिए।

समुद्र तटों पर प्लास्टिक कचरे की डंपिंग एक गंभीर समस्या है, जिसे सुलझाने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। हम सभी को मिलकर अपने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण में जीवन व्यतीत कर सकें।

source- दैनिक जागरण

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