स्वस्थ भोजन के महत्व को समझते हुए, भारत को अपने पड़ोसी देशों के मुकाबले खाद्य और स्वास्थ्य से संबंधित बुनियादी ढांचे के मामले में बेहतर माना जा रहा है। हाल ही में जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में, चार दक्षिण एशियाई देशों – भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका का विश्लेषण किया गया।
इस अध्ययन में पाया गया कि भारत खाद्य पर्यावरण नीतियों के क्रियान्वयन में आगे है, लेकिन मोटापा, मधुमेह और हृदय रोगों जैसी गैर-संचारी बीमारियों (एनसीडी) से निपटने के लिए मजबूत नीतियों और बुनियादी ढांचे की जरूरत है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ की शोधकर्ता एलिसा पिनेडा के अनुसार, भारत ने खाद्य पर्यावरण नीतियों के क्रियान्वयन और बीमारी की रोकथाम में महत्वपूर्ण प्रगति की है। लेकिन टाइप 2 मधुमेह और हृदय संबंधी बीमारियों जैसी बीमारियों को रोकने के लिए नीति और बुनियादी ढांचे के समर्थन में और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।
नीतियों का क्रियान्वयन
अध्ययन में पाया गया कि भारत ने खाद्य लेबलिंग और कराधान में प्रगति दिखाई है। सभी पैकेज्ड खाद्य पदार्थों को कोडेक्स सिफारिशों के अनुसार लेबल किया जाता है और सरकार ने खाद्य उत्पादों में नमक, चीनी और वसा की मात्रा पर स्वास्थ्य कर और विनियमन लागू किए हैं। फल और सब्जियाँ कर मुक्त हैं और अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों पर ‘वसा कर’ है।
बच्चों के लिए स्वस्थ भोजन
द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथ ईस्ट एशिया पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, एनसीडी दुनिया भर में बीमारी और मौत का प्रमुख कारण है। इसमें खाद्य लेबलिंग को बढ़ाने, बेहतर खाने की आदतों को प्रोत्साहित करने, अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों पर कर लगाने और स्वस्थ विकल्पों के लिए सब्सिडी शुरू करने के प्रयास शामिल हैं।
आवश्यक सुधार
अध्ययन से यह भी पता चला है कि भारत को अपनी खाद्य अवसंरचना, विनियमन, और व्यापार नीतियों में सुधार करने की आवश्यकता है। स्कूलों में वसा, चीनी और नमक की अधिक मात्रा वाले खाद्य पदार्थों पर प्रतिबंध है, लेकिन अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने के लिए और सख्त नियम बनाने की जरूरत है।
भारत ने खाद्य पर्यावरण नीतियों के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन स्वस्थ भोजन विकल्पों को सक्षम करने और एनसीडी के प्रसार को कम करने के लिए मजबूत नीतियों और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। सरकार को खाद्य अवसंरचना, विनियमन और व्यापार नीतियों में सुधार करने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि देश की जनता को स्वस्थ भोजन विकल्प उपलब्ध कराए जा सकें और गैर-संचारी बीमारियों से बचाव हो सके।
source and data – दैनिक जागरण समाचार पत्र