प्रदूषण पर सख्त कार्रवाई: 2026 के बाद एनसीआर में नहीं चलेंगे डीजल ऑटो रिक्शा

saurabh pandey
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हर साल अक्टूबर-नवंबर में वायु प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में गंभीर हो जाता है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें पराली जलाना प्रमुख है, लेकिन वाहनों से निकलने वाला धुआं भी गंभीर समस्या बना हुआ है। बढ़ते प्रदूषण में वाहनों का योगदान 40% से अधिक है, जिससे पीएम 2.5 के कणों का स्तर चिंताजनक रूप से बढ़ जाता है। इसे नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने 2026 तक पूरे एनसीआर से डीजल ऑटो रिक्शा को हटाने का लक्ष्य तय किया है।

प्रदूषण से मुक्ति की दिशा में पहला कदम

सरकार ने घोषणा की है कि 2023 के अंत तक नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद में डीजल ऑटो रिक्शा पूरी तरह बंद कर दिए जाएंगे। इन जिलों में ऑटो को सीएनजी, इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने की तैयारी है। दिल्ली में भी इस नीति को लागू करने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। रोज़ाना दिल्ली में प्रवेश करने वाली 1,700 से अधिक बसों को भी BS-6 मानक, सीएनजी, या इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने का लक्ष्य है।

दिल्ली में वाहनों का आँकड़ा:

  • कुल पंजीकृत वाहन: 1.5 करोड़
  • पुरानी या जीवनकाल पूरा कर चुके वाहन: 59 लाख
  • प्रतिदिन दूसरे राज्यों से आने वाले वाहन: 1 लाख
  • ई-वाहनों की संख्या: लगभग 3 लाख

वाहनों से प्रदूषण की गंभीरता

वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे सूक्ष्म कण हैं, जो स्वास्थ्य के लिए घातक साबित होते हैं। NCR में वाहनों से होने वाले कुल प्रदूषण में:

  • पीएम 2.5 का योगदान: 40%
  • पीएम 10 का योगदान: 20%

सरकार का मानना है कि डीजल वाहनों पर रोक लगाकर इन कणों के स्तर को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही, जीवनकाल पूरा कर चुके 59 लाख वाहनों को दिल्ली की सड़कों से हटाने की प्रक्रिया भी तेज़ी से की जा रही है।

ई-वाहनों को बढ़ावा और चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की समस्या

सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं ला रही है, जिसमें सब्सिडी और टैक्स छूट शामिल हैं। इसके अलावा, 2026 तक दिल्ली में 18,000 चार्जिंग पॉइंट्स स्थापित करने की योजना है ताकि लोग आसानी से इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग कर सकें। हालांकि, पहले से मौजूद चार्जिंग स्टेशनों के रखरखाव की कमी एक बड़ी चुनौती है।

अन्य चुनौतियाँ और आगे का रास्ता

एनसीआर में वाहन प्रदूषण पर काबू पाना आसान नहीं होगा। दिल्ली और उसके आसपास के राज्यों में पंजीकृत दोपहिया वाहनों की संख्या करीब 90 लाख है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों से पुरानी गाड़ियाँ अब भी NCR में प्रवेश कर रही हैं, जिससे प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को झटका लग रहा है।

सरकार ने “स्क्रैप पॉलिसी” को भी सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है ताकि पुराने वाहनों को सड़कों से हटाया जा सके। इसके साथ ही राज्यों के साथ समन्वय बनाकर दिल्ली आने वाली बसों को भी पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों में बदला जा रहा है।

प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार की यह योजना समय की मांग है। 2026 तक डीजल ऑटो रिक्शा को हटाने और इलेक्ट्रिक वाहनों का व्यापक इस्तेमाल NCR को वायु प्रदूषण से राहत देने में मदद कर सकता है। लेकिन इन प्रयासों की सफलता के लिए सही निगरानी और सख्त क्रियान्वयन जरूरी है। यदि सरकार और जनता मिलकर इन कदमों को प्रभावी ढंग से अपनाते हैं, तो NCR का भविष्य निश्चित रूप से स्वच्छ और सुरक्षित हो सकेगा।

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