इन दिनों गाजियाबाद, नंदेसरी और ग्रेटर नोएडा में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 200 के पार पहुंच चुका है, जिससे इन शहरों में सांस लेना कठिन हो गया है। विशेष रूप से नंदेसरी में AQI 229 तक पहुंच गया है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करता है। यह स्थिति न केवल स्थानीय निवासियों के लिए चिंताजनक है, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी प्रदूषण का असर दिखाई दे रहा है।
प्रदूषण के मामले में शीर्ष स्थान
वायु प्रदूषण के इस संकट में केवल गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा ही नहीं, बल्कि देश के अन्य शहर भी शामिल हैं। हनुमानगढ़, चरखी दादरी, मंडी गोबिंदगढ़, मेरठ, दिल्ली, चंडीगढ़, और श्रीगंगानगर जैसे शहर भी प्रदूषण की सूची में शीर्ष स्थान पर हैं। विशेष रूप से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि देखने को मिली है, जहां AQI कल तीन अंकों की वृद्धि के साथ 167 पर पहुंच गया है।
फरीदाबाद में कुछ राहत
हालांकि, पड़ोसी शहर फरीदाबाद में राहत की खबर है, जहां प्रदूषण में सुधार दर्ज किया गया है। यहाँ AQI 37 अंकों की सुधार के साथ 59 पर पहुँच गया है, जो संतोषजनक वायु गुणवत्ता को दर्शाता है। यह तथ्य यह बताता है कि स्थानीय प्रशासन और नागरिकों ने स्वच्छ हवा की दिशा में कुछ सकारात्मक कदम उठाए हैं।
बेहतर वायु गुणवत्ता वाले शहर
दूसरी ओर, देश के 61 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर संतोषजनक बना हुआ है। इनमें तिरुनेलवेली की स्थिति सबसे बेहतर है, जहां AQI मात्र 18 है। यदि हम नंदेसरी की स्थिति की तुलना तिरुनेलवेली से करें, तो यह स्पष्ट होता है कि नंदेसरी की वायु गुणवत्ता तिरुनेलवेली से 12 गुना ज्यादा खराब है।
स्वस्थ हवा की आवश्यकता
देश के बेहतर वायु गुणवत्ता वाले शहरों में प्रयागराज, पुदुचेरी, रामनाथपुरम, और शिलांग जैसे शहर शामिल हैं। हाल ही में इन शहरों में 15 फीसदी से अधिक का सुधार हुआ है, जो एक सकारात्मक संकेत है। इसके अलावा, हालिया आंकड़ों के अनुसार, फरीदाबाद के साथ-साथ देश के 122 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है। इसमें कोलकाता, लखनऊ, और मुंबई जैसे प्रमुख शहर भी शामिल हैं।
प्रदूषण का बढ़ता संकट
हालांकि, इस सकारात्मक विकास के बीच यह ध्यान देने योग्य है कि देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की संख्या में पिछले दिन की तुलना में 18 फीसदी की गिरावट आई है। यह संकेत करता है कि प्रदूषण के स्तर में लगातार बदलाव आ रहा है और हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
इस प्रकार, प्रदूषण की समस्या एक गंभीर चुनौती बन चुकी है, विशेषकर गाजियाबाद, नंदेसरी और ग्रेटर नोएडा में। यह समय है कि नागरिक, प्रशासन और सभी संबंधित विभाग मिलकर कार्य करें ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार किया जा सके। स्वच्छ हवा का अधिकार सभी का है, और इसके लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। हमें अपने भविष्य और आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ठोस कदम उठाने होंगे।
गाजियाबाद, नंदेसरी, और ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण की स्थिति गंभीर रूप ले चुकी है, जिससे स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। हालिया आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में निरंतर वृद्धि हो रही है, जिससे इन शहरों में रहने वाले लोगों के लिए सांस लेना कठिन हो गया है। दिल्ली सहित अन्य शहरों में भी प्रदूषण का स्तर बढ़ा है, जो एक व्यापक समस्या का संकेत है।
हालांकि, कुछ क्षेत्रों में जैसे फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है, लेकिन इसे राष्ट्रीय स्तर पर संतोषजनक स्थिति नहीं कहा जा सकता। यह एक चेतावनी है कि हमें सामूहिक रूप से प्रदूषण को कम करने के लिए ठोस उपाय करने होंगे। स्वच्छ हवा की आवश्यकता अब पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है, और इसके लिए सभी नागरिकों और संबंधित अधिकारियों को मिलकर काम करना होगा।
हमें अपने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में हम सभी एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण में रह सकें। सभी को मिलकर प्रदूषण के खिलाफ इस लड़ाई में शामिल होना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित पृथ्वी सुनिश्चित की जा सके।
Source- down to earth