दुनिया को कोविड महामारी से जूझते हुए एक नई और चिंताजनक जानकारी सामने आई है कि कोरोना वायरस जंगली जानवरों की कई प्रजातियों में भी फैल चुका है। वर्जीनिया टेक के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में यह खुलासा हुआ है कि यह वायरस छह सामान्य प्रजातियों में पाया गया है, जबकि पांच अन्य प्रजातियों में इसके पिछले संपर्क के संकेत मिले हैं। यह तथ्य दर्शाता है कि कोरोना वायरस केवल मानवों के लिए ही नहीं, बल्कि जंगली जीवों के लिए भी एक बड़ा खतरा बन गया है।
वायरस का फैलाव और उत्परिवर्तन
शोध में पाया गया कि कोरोना वायरस खासकर हाइकिंग ट्रेल्स और उच्च-यातायात क्षेत्रों में पाए जाने वाले जानवरों में अधिक मात्रा में मौजूद है। यह वायरस इंसानों से जानवरों में फैला है, और इसके उत्परिवर्तन के कारण यह और भी खतरनाक हो सकता है। यह उत्परिवर्तन वायरस की संरचना को बदलने की क्षमता रखता है, जिससे वैक्सीन विकास में चुनौतियाँ आ सकती हैं।
शोध के निष्कर्ष
वर्जीनिया में 23 प्रजातियों के जानवरों की जांच में यह पाया गया कि स्थानीय चूहों, खरगोशों, चमगादड़ों और वर्जीनिया ओपोसम में वायरस के लक्षण मौजूद थे। इनमें से ओपोसम में ऐसे उत्परिवर्तन देखे गए जो पहले कभी नहीं देखे गए थे। वायरस एक चाबी की तरह है, और जिन कोशिकाओं को यह संक्रमित करता है, वे ताले की तरह होती हैं। जब मनुष्य वन्यजीवों के संपर्क में आते हैं, तो वायरस उनसे जानवरों में कूद सकता है और नए मेजबानों में पनपने के लिए उत्परिवर्तित हो सकता है।
भविष्य की चुनौतियाँ
यह शोध इस बात की ओर इशारा करता है कि कोरोना वायरस का प्रसार अब केवल मानव समुदाय तक सीमित नहीं है। इसके जंगली जानवरों में फैलने से यह वायरस और भी जटिल और चुनौतीपूर्ण हो गया है। इस स्थिति में, मानव और वन्यजीवों के बीच संपर्क को नियंत्रित करना और वायरस के प्रसार को रोकने के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है। यदि इस दिशा में जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो यह वायरस न केवल इंसानों के लिए, बल्कि पूरी पारिस्थितिकी के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है।
कोरोना वायरस का जंगली जानवरों में फैलाव एक गंभीर और चिंताजनक संकेत है, जो यह दर्शाता है कि यह वायरस मानव समुदाय से परे जाकर वन्यजीवों को भी प्रभावित कर रहा है। इस अध्ययन के निष्कर्ष हमें आगाह करते हैं कि यदि हम जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय असंतुलन को अनदेखा करते हैं, तो इसका असर न केवल इंसानों पर, बल्कि संपूर्ण पारिस्थितिकी पर पड़ेगा।
वायरस का तेजी से उत्परिवर्तित होना और नए मेजबानों में पनपना इस बात की चेतावनी है कि हमें मानव और वन्यजीवों के बीच संपर्क को सीमित करने और वायरस के प्रसार को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। यदि इस दिशा में समय पर कार्यवाही नहीं की गई, तो हम एक और बड़ी वैश्विक चुनौती का सामना कर सकते हैं, जो केवल स्वास्थ्य संकट नहीं बल्कि पारिस्थितिकी और जैव विविधता के लिए भी विनाशकारी साबित हो सकती है।
Source – दैनिक जागरण