मानवता के इतिहास में संसाधनों की खोज हमेशा एक प्रमुख प्रेरणा रही है। यूरोप से लेकर अमेरिका तक, विभिन्न महाद्वीपों ने अपने-अपने समय में खनिजों और संसाधनों की खोज के लिए विशाल प्रयास किए। अब, यह खोज एक नए और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में प्रवेश कर रही है—अंतरिक्ष। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां अब अंतरिक्ष में खनिजों की खोज और खनन पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
अंतरिक्ष खनन की बढ़ती संभावना:
आज भले ही अंतरिक्ष में खनिजों की खोज महंगी और चुनौतीपूर्ण लगती हो, लेकिन भविष्य में यह संभवतः सस्ता और आसान हो सकता है। इसरो, जो अपने अंतरिक्ष अभियानों को किफायती बनाकर संचालित करता है, अब चांद और अन्य खगोलीय पिंडों पर खनन की संभावनाओं पर विचार कर रहा है। इसरो के इस्ट्रैक के निदेशक बीएन रामकृष्ण ने हाल ही में लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भविष्य में चंद्रयानों को चांद की सतह पर लंबे समय तक सक्रिय रखने की योजना है, ताकि चांद पर पानी और अन्य खनिजों की खोज की जा सके।
धरती के संसाधनों की कमी और अंतरिक्ष की भूमिका:
धरती के संसाधनों का दोहन एक समय के बाद समाप्त हो सकता है। ऐसे में, वैज्ञानिक अंतरिक्ष से सोना, प्लेटिनम और अन्य महंगे खनिजों की खोज और खनन की संभावनाओं को देख रहे हैं। कुइपर बेल्ट, जो बर्फीले पिंडों का संग्रह है, इसके लिए एक प्रमुख लक्ष्य हो सकता है। इसके साथ ही, चंद्रमा, क्षुद्रग्रहों और अन्य अंतरिक्ष पिंडों पर भी खनन की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
हीरे और अन्य खनिजों का अंतरिक्ष में संभावित भंडार:
हाल ही में कैलिफोर्निया की खगोलशास्त्री मोना ए. डेल्टिस्के ने बृहस्पति और शनि के वायुमंडल में हीरे के विशाल भंडार की जानकारी दी। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन ग्रहों के वायुमंडल में द्रवीभूत हाइड्रोजन और हीलियम के कुंडों में भारी मात्रा में हीरे मौजूद हो सकते हैं। इसके अलावा, यूरेनस और नेपच्यून के केंद्र में भी हीरे होने की संभावना व्यक्त की जा रही है, जो संभवतः तरल रूप में हो सकते हैं।
धरती के घटते संसाधनों के मद्देनजर, अंतरिक्ष में खनिजों की खोज और खनन की संभावना एक उत्साहजनक विकास है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और अन्य अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया की लागत और तकनीकी चुनौतियों को देखते हुए, आगे आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष खनन की संभावनाओं को सही ढंग से लागू करने के लिए हमें निरंतर अनुसंधान और विकास की आवश्यकता होगी।
Source- दैनिक जागरण