वैज्ञानिकों ने एक लंबे शोध के बाद पाया है कि गंगा नदी के जल में कुछ विशेष तत्व मौजूद हैं, जो इसे प्राकृतिक रूप से स्वच्छ बनाए रखते हैं। भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तहत कार्यरत राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।
12 वर्षों तक किया गया गंगा जल का विश्लेषण
यह अध्ययन गंगा नदी के विभिन्न क्षेत्रों में विस्तृत रूप से किया गया। नीरी के वैज्ञानिकों ने 2400 किलोमीटर लंबी गंगा को तीन भागों में विभाजित कर उसके जल, तलछट और प्रवाह की विशेषताओं की जांच की। यह शोध गोमुख से लेकर हरिद्वार, हरिद्वार से पटना, और पटना से बंगाल तक किया गया। अध्ययन में यह सामने आया कि गंगा जल में तीन महत्वपूर्ण तत्व मौजूद हैं, जो इसे अन्य नदियों से अलग बनाते हैं और इसकी स्वच्छता बनाए रखते हैं।
गंगा को शुद्ध बनाए रखने वाले तीन प्रमुख तत्व
- घुली हुई ऑक्सीजन की अधिक मात्रा:
गंगा जल में 20 मिमी प्रति लीटर तक घुली हुई ऑक्सीजन पाई गई है, जो इसे बैक्टीरिया और अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों से मुक्त रखने में मदद करती है। यह विशेषता इसे अन्य नदियों की तुलना में अधिक स्वच्छ बनाती है।
- फाइटोकेमिकल टेरपीन का प्रभाव:
गंगा के ऊपरी बहाव में, खासकर गोमुख से हरिद्वार तक, वनस्पतियों से उत्पन्न फाइटोकेमिकल टेरपीन नामक प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं। यह तत्व जल में मौजूद हानिकारक कारकों को खत्म करने और उसकी गुणवत्ता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- बैक्टीरियोफेज की उपस्थिति:
यह सूक्ष्मजीव विशेष रूप से गंगा नदी में पाए जाते हैं और हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करने में सक्षम होते हैं। इससे जल में मौजूद कई संक्रमण फैलाने वाले जीवाणु स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं।
अन्य नदियों की तुलना में गंगा की विशेषता
नीरी द्वारा किए गए अध्ययन में यमुना और नर्मदा जैसी नदियों का भी परीक्षण किया गया। परिणामों से स्पष्ट हुआ कि इन नदियों में उपरोक्त तीन तत्व उतनी मात्रा में नहीं पाए जाते, जितने कि गंगा जल में उपलब्ध हैं। यही कारण है कि गंगा में स्नान करने वाले लाखों श्रद्धालुओं के बावजूद इसका जल कुछ ही दूरी के बाद फिर से स्वच्छ हो जाता है।
गंगा के जल की शुद्धता पर वैज्ञानिकों की राय
नीरी के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कृष्ण खैरनार का कहना है कि गंगा जल न केवल अपने प्रवाह में शुद्ध रहता है, बल्कि इसे संग्रहित करने पर भी यह लंबे समय तक खराब नहीं होता। वैज्ञानिकों का मानना है कि जैसे-जैसे गंगा के प्रवाह में अवरोध बढ़ते हैं, इसकी स्वयं को शुद्ध करने की क्षमता प्रभावित होती जाती है।
गंगा की स्वच्छता बनाए रखने के लिए सरकार के प्रयास
कुंभ मेले के दौरान सरकार ने गंगा में मानवजनित प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विशेष कदम उठाए हैं, जिससे इस समय गंगा जल की गुणवत्ता में काफी सुधार देखा गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि गंगा के स्वच्छता तंत्र को बनाए रखना है, तो इसके प्रवाह को अवरुद्ध करने वाले कारकों को कम किया जाना आवश्यक है।
गंगा नदी भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर है, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह एक अद्भुत नदी है। इसके जल में मौजूद प्राकृतिक तत्व इसे स्वतः ही शुद्ध करने की क्षमता प्रदान करते हैं। हालांकि, बढ़ते प्रदूषण और अवरोधों के कारण इसकी यह विशेषता धीरे-धीरे प्रभावित हो रही है। यदि सरकार और आम जनता मिलकर इसके संरक्षण के प्रयास करें, तो गंगा जल की यह पवित्रता और वैज्ञानिक महत्व भविष्य में भी बना रह सकता है।