हाल ही में आई एक रिपोर्ट से पता चला है कि 2023 के अगस्त से लेकर 2024 के जुलाई तक जलवायु परिवर्तन की गति अनुमानित से कहीं अधिक तेज़ हो गई है। यूरोपीय आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट “ग्लोबल ड्राउट- सितंबर 2024” में यह संकेत दिया गया है कि पिछले एक साल में धरती ने 52 बार भीषण सूखे का सामना किया। इस दौरान तापमान में भारी विसंगतियां और बारिश में असमानताएं देखी गई हैं।
असामान्य तापमान और बारिश की स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2024 में वैश्विक औसत तापमान 17.16 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया, जो कि एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड है। इस अत्यधिक गर्मी के कारण मिट्टी की नमी लगभग समाप्त हो गई, जिसका नकारात्मक असर पेड़-पौधों और जैव विविधता पर पड़ा। असमान बारिश के कारण, अमेजन, ला प्लाटा और जाम्बेजी जैसी प्रमुख नदी घाटियों में पानी का प्रवाह सामान्य से कम हो गया।
इस वर्ष के दौरान तीन जलवायु घटनाओं-अल नीनो, हिंद महासागर डिपोल का सकारात्मक चरण, और उष्णकटिबंधीय उत्तरी अटलांटिक का गर्म चरण-का दुर्लभ संयोग देखा गया। इन घटनाओं के कारण दक्षिण अमेरिका, दक्षिणी अफ्रीका और भूमध्य सागर और पूर्वी यूरोप में सूखे की स्थिति बढ़ी।
सूखे का कृषि और खाद्य सुरक्षा पर असर
सूखे के कारण कृषि उत्पादन में भारी गिरावट आई है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं है। इसका असर स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं और किसानों की आय पर पड़ा है। सूखे के कारण लाखों लोग खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं, और दक्षिण अफ्रीका में आने वाले महीनों में लाखों लोगों को भोजन की सहायता की आवश्यकता होगी।
ऊर्जा और जल संसाधनों पर सूखे का प्रभाव
लंबे समय तक बारिश की कमी के कारण जलाशय और नदियों का पानी सूख रहा है। इससे कृषि, पेयजल आपूर्ति, और जलविद्युत उत्पादन पर संकट बढ़ रहा है। मोरक्को, स्पेन, इटली और दक्षिण अफ्रीका में पानी की भारी कमी के कारण सरकारें पानी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने को मजबूर हैं।
संयुक्त राष्ट्र का ड्राउट रेसिलिएंस+10 सम्मेलन
सूखे से निपटने के लिए हाल ही में जिनेवा में “ड्राउट रेसिलिएंस+10” सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों ने सूखे की तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए एक दशक की प्रगति पर चर्चा की। यह सम्मेलन मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए आगामी संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन से पहले आयोजित किया गया।
यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन की गंभीरता और सूखे के बढ़ते प्रभाव को स्पष्ट करती है। किसानों, नीति निर्माताओं, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सूखे के प्रति जागरूकता बढ़ाने और प्रभावी नीतियों को लागू करने की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए संपूर्ण रूप से सहयोग और समय पर हस्तक्षेप बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि आने वाले संकटों से बचा जा सके।
जलवायु परिवर्तन की मौजूदा स्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमारी धरती एक गंभीर जलवायु संकट का सामना कर रही है। रिपोर्ट में उल्लिखित 52 सूखा घटनाओं की संख्या और तापमान में असामान्य वृद्धि ने साबित कर दिया है कि हमें अब तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है। इस संकट का सबसे बड़ा असर कृषि, खाद्य सुरक्षा, और जल संसाधनों पर पड़ रहा है, जिससे लाखों लोगों को खाद्य संकट और पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समय पर नीतिगत हस्तक्षेप बेहद महत्वपूर्ण हैं, ताकि सूखे और अन्य जलवायु संबंधित समस्याओं से निपटा जा सके। हमें न केवल प्रभावी जल प्रबंधन की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है, बल्कि सूखा प्रतिरोधी फसलों का उपयोग और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की भी जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र के आगामी कार्यक्रमों और सम्मेलनों में भागीदारी करके, हम सूखे के खतरे को कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर एकजुट हो सकते हैं। यह सुनिश्चित करना कि हमारी नीतियां और क्रियाकलाप सूखे की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हों, भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थायी और सुरक्षित पर्यावरण का निर्माण करने के लिए आवश्यक है।