गंभीर स्वास्थ्य संकट: WHO ने 16 देशों में नए जानलेवा रोगज़नक़ की चेतावनी दी

saurabh pandey
5 Min Read

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक नए और जानलेवा रोगज़नक़, हाइपर विरुलेंट क्लेबसिएला न्यूमोनिया (HVKP), के उभरने के संबंध में गंभीर चेतावनी जारी की है। यह रोगज़नक़ अब तक 16 देशों में फैल चुका है और भारतीय स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए एक बड़ा चुनौती पेश कर रहा है। WHO की रिपोर्ट ने वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय को अलर्ट कर दिया है कि यह रोगज़नक़ स्वस्थ लोगों में भी खतरनाक संक्रमण उत्पन्न कर सकता है।

रोगज़नक़ की पहचान और प्रभाव

WHO ने 127 देशों में से 43 देशों से जानकारी एकत्र की और पाया कि इनमें से 16 देशों में HVKP के मामले सामने आए हैं। इन देशों में भारत, अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ईरान, जापान, ओमान, फिलीपींस, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं। HVKP एक ऐसा रोगज़नक़ है जो सामान्य क्लेबसिएला न्यूमोनिया से अधिक विरुलेंट (संक्रामकता) है और इसका संक्रमण अस्पताल में भर्ती मरीजों तथा आम लोगों दोनों में हो सकता है।

चिकित्सा और निगरानी में कमी

WHO के अनुसार, HVKP पर अभी तक किसी भी देश का ध्यान नहीं गया है। अधिकतर डॉक्टर इस नए रोगज़नक़ के डायग्नोस्टिक टेस्ट और उपचार के बारे में अवगत नहीं हैं। WHO ने प्रयोगशालाओं और स्वास्थ्य सेवाओं को इस रोगज़नक़ के प्रति जागरूक रहने की सलाह दी है और सुझाव दिया है कि प्रयोगशालाओं की क्षमताओं को मजबूत करने के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्रों से डेटा एकत्र किया जाए।

भारत में स्थिति

भारत में, HVKP के मामलों की पहचान 2015 से की जा रही है, और 2016 में पहली बार कार्वपेनम-प्रतिरोधी HVKP की पहचान की गई थी। भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ICMR की एक टीम इस नए स्ट्रेन की पहचान और उपचार के प्रयासों में लगी हुई है। हालांकि, अभी भी जिला और तहसील स्तर पर इस रोगज़नक़ के बारे में जानकारी की कमी है।

चुनौतियाँ और समाधान

HVKP के पहचान में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वर्तमान प्रयोगशालाएं HVKP और क्लासिक क्लेबसिएला न्यूमोनिया (CKP) के बीच अंतर नहीं कर पा रही हैं। यह स्थिति मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है, विशेषकर जब HVKP का स्ट्रेन भी कार्वपेनम-प्रतिरोधी होता है। WHO ने सलाह दी है कि स्वास्थ्य अधिकारियों को इस रोगज़नक़ की विशेषताओं और उपचार की दिशा में शोध को बढ़ावा देना चाहिए।

WHO का कहना है कि वर्तमान में इस रोगज़नक़ की निगरानी और उपचार के उपायों में गंभीर कमी है। वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों और देशों को मिलकर इस संकट का समाधान ढूंढना होगा। इससे न केवल प्रभावी उपचार की दिशा में कदम उठाए जा सकेंगे, बल्कि भविष्य में इस तरह के रोगज़नक़ के फैलाव को भी रोका जा सकेगा।

इस समय सभी देशों और स्वास्थ्य संगठनों को मिलकर इस नए और खतरनाक रोगज़नक़ के खिलाफ एकजुट होने की आवश्यकता है ताकि वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।

हाइपर विरुलेंट क्लेबसिएला न्यूमोनिया (HVKP) की उभरती स्थिति ने वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय को गंभीर चिंताओं में डाल दिया है। WHO की चेतावनी के अनुसार, यह रोगज़नक़ 16 देशों में फैल चुका है और अस्पतालों में भर्ती मरीजों तथा आम लोगों को संक्रमित कर सकता है। भारत समेत अन्य प्रभावित देशों में HVKP के डायग्नोस्टिक टेस्ट और उपचार की कमी के कारण इस रोगज़नक़ की पहचान और रोकथाम में कठिनाइयाँ आ रही हैं।

स्वास्थ्य अधिकारियों और प्रयोगशालाओं को इस नए रोगज़नक़ के प्रति जागरूक रहने और निगरानी क्षमता को मजबूत करने की आवश्यकता है। चिकित्सकीय समुदाय और वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों को मिलकर इस संकट का समाधान निकालना होगा। सही उपचार, डेटा संग्रहण और प्रभावी निगरानी के माध्यम से HVKP के प्रभाव को कम किया जा सकता है और भविष्य में ऐसे खतरनाक रोगज़नक़ों के फैलाव को रोका जा सकता है। वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए सभी देशों को एकजुट होकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

source- अमर उजाला

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *