वैज्ञानिकों ने सूर्य के सबसे नजदीक ग्रह बुध में हीरे की मोटी परत के होने की संभावना जताई है। बीजिंग के सेंटर फॉर हाई प्रेशर साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिसर्च के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में बताया कि बुध की सतह के नीचे उच्च मात्रा में कार्बन के कारण हीरे की परत हो सकती है।
अध्ययन के सह-लेखक यानहाओ लिन ने कहा कि बुध में कार्बन की अत्यधिक उच्च मात्रा ने इस ग्रह के भीतर विशेष घटनाओं की ओर इशारा किया है। बुध के पास एक कमजोर चुंबकीय क्षेत्र भी है, जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की तुलना में बहुत कम शक्तिशाली है। नासा के मैसेंजर अंतरिक्ष यान ने बुध की सतह पर असामान्य काले क्षेत्रों की पहचान की है, जिन्हें ग्रेफाइट के रूप में पहचाना गया है।
“नेचर कम्युनिकेशंस” जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में बुध की संरचना और असामान्य चुंबकीय क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि बुध की सतह पर अत्यधिक तापमान और दबाव के कारण कार्बन हीरे में क्रिस्टलीकृत हो सकता है।
वर्ष 2019 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, बुध का मेंटल पहले के अनुमान से 50 किलोमीटर (80 मील) अधिक गहरा हो सकता है, जिससे तापमान और दबाव में वृद्धि हुई है। इस अध्ययन के तहत बेल्जियम और चीन के शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में कार्बन, सिलिका और लोहे का उपयोग कर रासायनिक मिश्रण तैयार किया और 7 गीगापास्कल दबाव लागू किया, जो समुद्र तल पर पृथ्वी के वायुमंडलीय दबाव से 70,000 गुना अधिक है। इस दबाव ने बुध के अंदर की स्थितियों को मॉडलिंग करने में मदद की है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इन कठोर परिस्थितियों ने बुध के भीतर हीरे के निर्माण की संभावना को और भी मजबूत किया है, जो ग्रह की कोर-मेंटल सीमा पर होने वाले तापमान और दबाव के संदर्भ में समझाया जा सकता है।
वैज्ञानिकों के नवीनतम अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि सूर्य के सबसे नजदीक ग्रह बुध की सतह के नीचे एक संभावित हीरे की परत हो सकती है। उच्च मात्रा में कार्बन और ग्रह के कोर-मेंटल सीमा पर अत्यधिक तापमान और दबाव ने इस संभावना को बल दिया है। बीजिंग के सेंटर फॉर हाई प्रेशर साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिसर्च के अध्ययन ने यह भी दर्शाया है कि बुध की सतह पर असामान्य ग्रेफाइट और कमजोर चुंबकीय क्षेत्र इस ग्रह की विशेष भूगर्भीय परिस्थितियों को उजागर करते हैं।
शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में उच्च दबाव और तापमान की परिस्थितियों का अनुकरण कर इस संभावना की पुष्टि की है, जिससे यह ग्रह के भीतर हीरे के निर्माण की संभावना को सुदृढ़ करता है। यह अध्ययन बुध ग्रह की जटिल संरचना और इसके भूगर्भीय इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
source and data- अमर उजाला