नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी ताजा सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) रिपोर्ट को एक गंभीर चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए। इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से आगाह किया गया है कि सात अरब लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए तय किए गए वैश्विक लक्ष्य हासिल नहीं किए जा सकते। यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस द्वारा जारी की गई है, जिसमें बताया गया है कि दुनिया के सात अरब से ज्यादा लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से तय किए गए 169 लक्ष्यों में से 2030 तक सिर्फ 17 प्रतिशत लक्ष्य ही पूरे होने की संभावना है। बाकी 83 प्रतिशत लक्ष्यों पर प्रगति या तो रुक गई है या स्थिति पहले से भी बदतर हो गई है।
दुनिया के सात अरब से ज्यादा लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से तय किए गए 169 लक्ष्यों में से 2030 तक सिर्फ 17 प्रतिशत लक्ष्य ही पूरे होने की संभावना
सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) की पृष्ठभूमि
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2000 में सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों (एमडीजी) के प्रारूप को स्वीकार किया गया था, जिसके तहत निर्धारित लक्ष्यों को वर्ष 2015 तक पूरा किया जाना था। लेकिन जब ये लक्ष्य निर्धारित अवधि में हासिल नहीं किए गए तो वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की सत्रहवीं बैठक में सदस्य देशों द्वारा सत्रह सतत विकास लक्ष्य निर्धारित किए गए, जिन्हें बाद में 169 लक्ष्यों में विभाजित किया गया और उनके लिए वर्ष 2030 की समय-सीमा भी तय की गई।
सतत विकास लक्ष्य क्या हैं?
सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी), जिन्हें वैश्विक लक्ष्य के रूप में भी जाना जाता है, को संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2015 में गरीबी को समाप्त करने, ग्रह की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई के सार्वभौमिक आह्वान के रूप में अपनाया गया था कि 2030 तक सभी लोग शांति और समृद्धि का आनंद लें।
17 सतत विकास लक्ष्य एकीकृत हैं – वे मानते हैं कि एक क्षेत्र में की गई कार्रवाई अन्य क्षेत्रों के परिणामों को प्रभावित करेगी, तथा विकास में सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता के बीच संतुलन होना चाहिए।
देशों ने उन लोगों के लिए प्रगति को प्राथमिकता देने की प्रतिबद्धता जताई है जो सबसे पीछे हैं। सतत विकास लक्ष्य गरीबी, भुखमरी, एड्स और महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने के लिए बनाए गए हैं।
हर संदर्भ में सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समाज के सभी लोगों की रचनात्मकता, जानकारी, प्रौद्योगिकी और वित्तीय संसाधन आवश्यक हैं।
कोरोना महामारी का प्रभाव
ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण 2019 के मुकाबले 2022 में गरीबी और भुखमरी से प्रभावित लोगों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। साथ ही, ऊर्जा और शिक्षा संबंधी लक्ष्यों में भी काफी पिछड़ाव देखा गया है। यह स्पष्ट करता है कि शांति, जलवायु परिवर्तन, और अंतरराष्ट्रीय वित्त सहित गंभीर वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में दुनिया की विफलता विकास को कमजोर कर रही है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए इन लक्ष्यों को हासिल करना और भी मुश्किल बना रही है।
भारत की स्थिति
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के एक दिन बाद केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट जारी हुई, जिसमें कहा गया कि चुनौतियां अभी भी बहुत बड़ी हैं, लेकिन भारत कई संकेतकों पर अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। नवजात शिशुओं की मृत्यु दर 2015 में प्रति हजार 25 से घटकर 2020 में 20 प्रति हजार हो गई है, जबकि पूरी तरह से टीकाकरण वाले बच्चों (12-23 महीने की उम्र के बीच) की हिस्सेदारी 2019-21 में 62 प्रतिशत से बढ़कर 76.6 प्रतिशत हो गई है। उच्चतर माध्यमिक में प्रवेश करने वाले बच्चों का अनुपात भी बढ़ा है।
वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में, सतत विकास लक्ष्य विश्व के समक्ष उपस्थित सबसे गंभीर चुनौतियों से निपटने का एक समावेशी प्रयास है, जिसकी विफलता चिंताजनक है। ऐसे में, एक समृद्ध, सुरक्षित और न्यायपूर्ण विश्व के निर्माण के लिए यह आवश्यक है कि सभी देश इन लक्ष्यों की गंभीरता को समझें और अपने प्रयासों का पुनर्मूल्यांकन करें। सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समर्पित और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है ताकि हम एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकें।
source- undp,अमर उजाला
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