यूक्रेन-रूस और इज़राइल-गाजा युद्ध : पेरिस समझौते का खुला मज़ाक-

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यूक्रेन-रूस और इज़राइल-गाजा युद्ध : पेरिस समझौते का खुला मज़ाक-

पेरिस समझौते को 2015 में UNFCCC (United Nations Framework Convention on Climate Change)& COP21 शिखर सम्मेलन में अपनाया गया था, जिसमें दुनिया भर के देश वैश्विक तापमान को 2°C से नीचे और संभव हो तो 1.5°C तक सीमित करने के लिए प्रतिबद्ध हुए थे। वाह, क्या शानदार योजना थी! लेकिन जब भू-राजनीतिक खेल और सैन्य झगड़े चलते हैं, तो पेरिस समझौता किस चिड़िया का नाम है? यूक्रेन-रूस युद्ध और इज़राइल-गाजा संघर्ष तो दिखाते हैं कि पर्यावरण की चिंता के नाम पर किया गया समझौता महज कागज़ी ही है।

यूक्रेन-रूस व इज़राइल-गाजा युद्ध : पर्यावरणीय ‘योगदान’

वायु प्रदूषण-

यूक्रेन-रूस व इज़राइल-गाजा युद्ध ने वायु प्रदूषण का अद्भुत प्रदर्शन किया है। विस्फोट और आग ने बड़ी मात्रा में पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10), भारी धातु, और रासायनिक विषाक्त पदार्थों को हवा में छोड़ा है। वाह, कितना ‘प्रगति’ है! यह पार्टिकुलेट मैटर हमारे फेफड़ों को भरकर हमें अस्थमा और दिल के रोग देने के लिए बेहतरीन है।

सैन्य वाहनों और विमानों के उत्सर्जन ने भी प्रदूषण में चार चाँद लगाए हैं। CO2, NOx, और SO2 का उत्सर्जन हो रहा है, जो ओजोन और अम्लीय वर्षा का निर्माण करते हैं। सब कुछ बिलकुल उसी दिशा में जा रहा है, जिसे पेरिस समझौता रोकने का दावा करता है।

जल प्रदूषण-

जल प्रदूषण के मामले में भी युद्ध ने कमाल किया है। बमबारी और गोला-बारूद ने सीवेज सिस्टम को तहस-नहस कर दिया है, जिससे नदियों और झीलों में अवशिष्ट सीवेज बह रहा है, बुनियादी ढांचे के विनाश ने पीने के पानी को भी जहरीला बना दिया है । जलजनित रोगों की तो मानो बाढ़ ही आ गई है। औद्योगिक सुविधाओं के विनाश से रासायनिक स्पिल हो रहे हैं, जिनमें भारी धातुएं (सीसा, पारा, कैडमियम) और वाष्पशील जैविक यौगिक (VOCs) शामिल हैं। वाह, कितनी ‘तरक्की’ है, जो पानी को और जहरीला बना रही है!, समुद्री जीवन को तो ऐसे नुकसान पहुंचाया गया है, मानो यही सबसे बड़ा ‘योगदान’ हो!

मृदा प्रदूषण-

मृदा प्रदूषण में भी युद्ध ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। विस्फोट भारी धातुएं और नाइट्रेट अवशेष छोड़ते हैं, जो मृदा में लंबे समय तक बने रहते हैं और खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर जाते हैं। औद्योगिक स्थलों का नुकसान और भी जहरीले रसायनों को मृदा में मिला रहा है। मृदा में भारी धातुओं और नाइट्रेट्स का प्रदूषण इस संघर्ष का ‘अनमोल उपहार’ है। भारी धातुएं फसलों में बायोएक्यूमलेट होकर हमारे भोजन को भी जहरीला बना रही हैं। क्या यही हमारी ‘संपन्नता’ का नया पैमाना है?

पेरिस समझौते का मजाक-

इन संघर्षों के कारण हुआ पर्यावरणीय विनाश पेरिस समझौते के लक्ष्यों का खुला मजाक है। जीवाश्म ईंधन का जलना, कार्बन सिंक का विनाश, और जलवायु सहनशीलता उपायों का व्यवधान स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय जलवायु प्रतिबद्धताओं का पालन किस हद तक विफल है।

ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन-

संघर्षों ने GHG उत्सर्जन को चार चांद लगा दिए हैं। यूक्रेन में तेल डिपो के विनाश ने हजारों टन CO2 उत्सर्जित किया है। सैन्य अभियानों के लिए ईंधन का दहन उत्सर्जन को और बढ़ा रहा है। गाजा में, आग और विस्फोट CO2 और अन्य प्रदूषकों का उत्सर्जन कर रहे हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के प्रयास में बाधा उत्पन्न हो रही है।

कार्बन सिंक का विनाश-

सैन्य गतिविधियों के कारण वनों की कटाई और प्राकृतिक आवासों का विनाश पृथ्वी की CO2 अवशोषित करने की क्षमता को कम कर रहा है। यूक्रेन में, सैन्य बलों द्वारा उपयोग किए गए वन क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाया गया है। गाजा में, प्राकृतिक आवासों का विनाश वन्यजीवन को विस्थापित कर रहा है और जैव विविधता को कम कर रहा है।

जलवायु सहनशीलता का व्यवधान

पर्यावरणीय पहलों से संसाधनों का सैन्य खर्च की ओर विचलन जलवायु सहनशीलता प्रयासों को कमजोर कर रहा है। यूक्रेन और गाजा दोनों में, सरकारें दीर्घकालिक पर्यावरणीय स्थिरता पर तत्काल संघर्ष-संबंधी आवश्यकताओं को प्राथमिकता दे रही हैं। वाह, कितना ‘व्यावहारिक’ है!

प्रकृति की आवाज: “आप जो बोते हैं, वही काटते हैं”- यह कोई संयोग नहीं है कि जिन स्थानों पर युद्ध और संघर्ष हो रहे हैं, वहीं पर्यावरण का विनाश भी चरम पर है। यह प्रकृति का संदेश है: “आप जो बोते हैं, वही काटते हैं।” जब हम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और पर्यावरण का दुरुपयोग करते हैं, तो हमें उसके नतीजे भी भुगतने पड़ते हैं ।

भविष्य की दिशा-शांति और स्थिरता की ओर

इन संघर्षों के पर्यावरणीय परिणामों को संबोधित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, मजबूत पर्यावरणीय निगरानी, और शांति और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता की आवश्यकता है। केवल सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से वैश्विक समुदाय इन पर्यावरणीय क्षतियों को कम करने और पेरिस समझौते और UNFCCC (COP21 शिखर सम्मेलन के तहत की गई प्रतिबद्धताओं का सम्मान कर सकता है ।

यूक्रेन-रूस और इज़राइल-गाजा संघर्ष ने दिखाया है कि भू-राजनीतिक झगड़े वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को कैसे गंभीर रूप से कमजोर कर सकते हैं। व्यापक प्रदूषण और पर्यावरणीय क्षति, जिसमें वायु, जल, और मृदा प्रदूषण शामिल हैं, ग्लोबल वार्मिंग और पारिस्थितिकीय क्षरण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। CO2, NOx, SO2, भारी धातुएं, और VOCs जैसे प्रदूषकों का उत्सर्जन मानव स्वास्थ्य और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र पर विनाशकारी प्रभाव डाल रहा है।

इन संघर्षों के पर्यावरणीय परिणामों को संबोधित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, मजबूत पर्यावरणीय निगरानी, और शांति और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता की आवश्यकता है। केवल सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से वैश्विक समुदाय इन पर्यावरणीय क्षतियों को कम करने और पेरिस समझौते और UNFCCC COP21 शिखर सम्मेलन के तहत की गई प्रतिबद्धताओं का सम्मान कर सकता है ।

यह समय है कि हम समझें कि पृथ्वी का विनाश किसी भी राजनीतिक या सैन्य विजय से अधिक महंगा है। हमें शांति और स्थिरता की दिशा में एकजुट होकर कदम बढ़ाना होगा, ताकि हम अपने ग्रह को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और स्वस्थ बना सकें। प्रकृति का संदेश स्पष्ट है: “आप जो बोते हैं, वही काटते हैं।” इसलिए, हमें वह बीज बोना चाहिए जो हमारे भविष्य को सुरक्षित और समृद्ध बना सके ।

ANKIT (STUDENT)

DIC -BHU,VARANASI

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