भारत को सबसे बड़ा जैविक उत्पादक देश बनाने की दिशा में सहकारिता की भूमिका: अमित शाह

saurabh pandey
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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में किसानों से जैविक खेती की ओर बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जैविक खेती न केवल किसानों के स्वास्थ्य और मिट्टी के लिए लाभकारी है, बल्कि इससे उनकी आय भी बढ़ेगी। शाह ने इस अवसर पर राष्ट्रीय सहकारी जैविक लिमिटेड (एनसीओएल) और उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद के बीच हुए समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि भारत को वैश्विक जैविक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी है और इसके लिए सहकारिता की अहम भूमिका होगी।

जैविक खेती की बढ़ती महत्ता

शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जैविक खेती का रकबा बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। आज बड़ी संख्या में किसान जैविक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं, जिससे उनकी आय में भी वृद्धि हो रही है। जैविक खेती को बढ़ावा देने का उद्देश्य न केवल किसानों की आय दोगुनी करना है, बल्कि उन्हें स्वस्थ और समृद्ध जीवन प्रदान करना भी है।

जैविक उत्पादों का वैश्विक बाजार

अमित शाह ने बताया कि वैश्विक बाजार में जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। भारत ब्रांड के जरिए किसान अपने उत्पादों को दुनिया भर के बाजारों तक पहुंचा सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अमूल और एनसीओएल जैसी सहकारी संस्थाएं इस दिशा में अहम भूमिका निभा रही हैं। ये संस्थाएं देश में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप जैविक उत्पाद बेच रही हैं, जिससे किसानों को सीधा लाभ होगा।

सहकारी समितियों की भूमिका

शाह ने किसानों से सहकारी समितियों से जुड़ने का आग्रह करते हुए कहा कि सहकारिता के माध्यम से ही जैविक खेती के मुनाफे को सीधे किसानों तक पहुंचाया जा सकेगा। अमूल और एनसीओएल मिलकर देशभर में प्रयोगशालाओं का नेटवर्क तैयार करेंगे, जो जैविक खेती और उत्पादों की जांच करेंगे। इससे किसानों को न केवल बेहतर फसल मिलेगी, बल्कि उनके उत्पादों की गुणवत्ता भी सुनिश्चित होगी।

उत्तराखंड में जैविक खेती का प्रसार

उत्तराखंड में जैविक खेती के प्रसार पर विशेष ध्यान देते हुए शाह ने कहा कि राज्य में खाद की दुकानों को बंद करने का निर्णय लिया गया है। इसका उद्देश्य किसानों को पूरी तरह से जैविक खेती की ओर प्रेरित करना है। उन्होंने कहा कि जब पूरा प्रदेश जैविक हो जाएगा, तो जांच की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी, क्योंकि सभी उत्पाद प्राकृतिक रूप से सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता के होंगे।

भविष्य की योजनाएं

केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आने वाले समय में हर कृषि उत्पाद को जैविक रूप में ही बेचा जाएगा। इसके लिए सहकारी संस्थाएं अपने स्तर पर व्यापक प्रयास कर रही हैं। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा जैविक उत्पादक देश बने। इसके लिए सहकारिता के माध्यम से अपने उत्पादों को दुनिया भर में पहुंचाना महत्वपूर्ण है।

अमित शाह का यह बयान स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भारत जैविक खेती में अग्रणी बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। सहकारिता की भूमिका इसमें बेहद महत्वपूर्ण है, जिससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि भारत को वैश्विक जैविक बाजार में प्रमुख स्थान भी मिलेगा।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अपने हालिया बयान में जैविक खेती को बढ़ावा देने और भारत को वैश्विक जैविक उत्पादक देश बनाने के लिए सहकारिता की अहम भूमिका को स्पष्ट किया है। उन्होंने बताया कि जैविक खेती न केवल किसानों के स्वास्थ्य और मिट्टी के लिए लाभकारी है, बल्कि इससे उनकी आय में भी वृद्धि हो रही है। शाह के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य भारत को जैविक खेती में सबसे बड़ा उत्पादक बनाना है, और इसके लिए सहकारी संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

भारत के जैविक उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहुंचाने के लिए सहकारी समितियों और ब्रांडों का एक नेटवर्क तैयार किया जा रहा है, जिससे किसानों को सीधा लाभ होगा और उनकी खेती का मुनाफा बढ़ेगा। अमूल और एनसीओएल जैसी संस्थाएं अंतरराष्ट्रीय मानकों के जैविक उत्पाद बेच रही हैं, जो भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करती हैं।

इस प्रकार, भारत में जैविक खेती का विस्तार और वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने के प्रयासों से न केवल कृषि क्षेत्र में सुधार होगा, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी। सहकारिता और जैविक खेती की दिशा में किए जा रहे ये प्रयास भारत को वैश्विक कृषि मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान दिलाने में सहायक होंगे।

Source- दैनिक जागरण

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