हाल ही में एक शोध ने यह जानकारी दी है कि आठ सप्ताह तक शाकाहारी आहार अपनाने से बढ़ती उम्र के असर को कम किया जा सकता है। बायोमेड सेंट्रल मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित इस शोध ने खाद्य पदार्थों में डेयरी उत्पादों और अन्य पशु स्रोतों को शामिल नहीं किया। इसके बजाय, आहार में फल, सब्जियाँ, दालें, बीन्स, और नट्स को शामिल किया गया।
शोध का निष्कर्ष
अमेरिका में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि पौधों पर आधारित आहार का सेवन डीएनए में बदलाव किए बिना जीन अभिव्यक्ति या जीन व्यवहार में बदलाव से जुड़ा था। विशेष रूप से, शोध ने डीएनए मिथाइलेशन पर ध्यान केंद्रित किया, जो जीन को चालू या बंद करने की प्रक्रिया है।
डीएनए मिथाइलेशन के उच्च स्तर को उच्च जैविक उम्र से जोड़ा जाता है, जो जीन के व्यवहार को प्रभावित करने वाली एक एपिजेनेटिक प्रक्रिया है। जैविक उम्र यह दर्शाती है कि आपकी कोशिकाएं और ऊतक कितने स्वस्थ हैं, जबकि सामान्य उम्र आपके जीवन के वर्षों की संख्या को दर्शाती है।
अध्ययन की विधि और परिणाम
शोधकर्ताओं ने आठ सप्ताह तक जुड़वा बच्चों के 21 जोड़ों का निरीक्षण किया। इनमें से आधे ने सर्वाहारी आहार का सेवन किया, जिसमें मांस, अंडे और डेयरी उत्पाद शामिल थे, जबकि बाकी ने शाकाहारी भोजन का सेवन किया। प्रतिभागियों की औसत आयु 40 वर्ष थी और उनका बॉडी मास इंडेक्स उच्च था।
आठ सप्ताह के बाद, शाकाहारी आहार लेने वालों के हृदय, यकृत और चयापचय का अध्ययन किया गया। परिणामों ने दिखाया कि शाकाहारी आहार लेने वाले लोग सर्वाहारी आहार लेने वालों की तुलना में अधिक स्वस्थ और युवा थे।
यह शोध दर्शाता है कि शाकाहारी आहार बढ़ती उम्र के असर को कम करने में सहायक हो सकता है, विशेष रूप से डीएनए मिथाइलेशन और जैविक उम्र के संदर्भ में। यह अध्ययन उन लोगों के लिए प्रेरणा प्रदान करता है जो स्वास्थ्य और उम्र के असर को बेहतर बनाने के लिए अपने आहार में बदलाव पर विचार कर सकते हैं।
Source and data- दैनिक जागरण